परीक्षा पे चर्चा में पीएम मोदी ने दिए ये गुर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम के दौरान छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, "...आप उस स्थान पर आए हैं, जहां भारत मंडपम के प्रारंभ में दुनिया के सभी बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं ने दो दिन बैठकर विश्व के भविष्य की चर्चा की थी। और आज आप भारत के भविष्य की चिंता अपनी परीक्षाओं की चिंताओं के साथ-साथ करने वाले हैं। एक प्रकार से परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम मेरे लिए भी परीक्षा होता है। आपमें से बहुत से लोग हैं जो हो सकता है मेरी परीक्षा लेना चाहते हों।"

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “आपके दोस्त से आपको किस चीज की स्पर्धा है? मान लीजिए 100 नंबर का पेपर है। आपका दोस्त अगर 90 नंबर ले आया तो क्या आपके लिए 10 नंबर बचे? आपके लिए भी 100 नंबर हैं। आपको उससे स्पर्धा नहीं करनी है आपको खुद से स्पर्धा करनी है… उससे द्वेष करने की जरूरत नहीं है। असल में वो आपके लिए प्रेरणा बन सकता है। अगर यही मानसिकता रही तो आप अपने से तेज तरार व्यक्ति को दोस्त ही नहीं बनाएंगे…”

परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम का शुरूआत हो चुकी है। पीएम मोदी भारत मंडपम, आईटीपीओ, प्रगति मैदान, नई दिल्ली पहुंच चुके हैं। पीएम मोदी ने छात्रों को सलाह दी कि हमेशा टाइम मैनेजमेंट के प्रति जागरूक रहना चाहिए। परीक्षा हो या नहीं अपने कार्य को सही समय पर पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि, काम करने की कभी थकान नहीं होनी चाहिए। काम करने से संतोष होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा,टीचर का स्टूडेंट के साथ का नाता शुरूआत से लेकर परीक्षा आने तक निरंतर बढता रहे तो शायद परीक्षा के दौरान छात्रों पर तनाव की नौबत न आए। शिक्षकों को चाहिए कि वे छात्रों के साथ केवल सिलेबस तक ही संबंधित न हों। शिक्षक और छात्र का नाता ऐसा हो कि छात्र छोटी-मोटी समस्या को भी शिक्षक के साथ डिस्कस करने से न हिचकिचाए ।

प्रतिस्पर्धा से आने वाले दबाव से जुड़े एक सवाल के जवाब में पीएम ने कहा, “जीवन में चुनौतियां और स्पर्धा होना बहुत जरूरी है। इनके बिना जीवन बहुत ही प्रेरणाहीन बन जाएगा। जीवन में हेल्दी कॉम्पीटीशन होना जरूरी है।” दोस्तों से प्रतिस्पर्धा न करें, बल्कि खुद से प्रतिस्पर्धा करें और दोस्तों को अपने लिए प्रेरणा बनाएं। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों पर अनावश्यक दबाव न डालें। परीक्षा पे चर्चा 2024 के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए पीएम ने कहा कि तुलना छात्रों के मन में बचपन से ही उनके परिवारों द्वारा रची जाती है। उन्होंने कहा, “मैं माता-पिता से आग्रह करता हूं कि वे अपने बच्चों की तुलना दूसरों की उपलब्धियों से न करें।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “परीक्षा पे चर्चा का ये सांतवा एपिसोड है। ये प्रश्न हर बार आया है और अलग-अलग तरीके से आया है। इसका मतलब ये है कि सात सालों में सात अलग-अलग बैच इन परिस्थितियों से गुजरे हैं और हर नए बैच को भी इन्हीं समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है। विद्यार्थियों के बैच बदलते हैं लेकिन शिक्षकों के बैच नहीं बदलते। यदि शिक्षकों ने मेरे अब तक के एपिसोड्स की बातों का कुछ न कुछ अपने स्कूल में संबोधन किया हो तो शायद हम इस समस्या को धीरे-धीरे कम कर सकते हैं।”