नई दिल्ली। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन के सतत विकास और ऊर्जा परिवर्तन सत्र को संबोधित करते हुए वैश्विक स्तर पर भारत के योगदान और महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को साझा किया। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान समूह ने 2030 तक अक्षय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना और ऊर्जा दक्षता दर को दोगुना करने का संकल्प लिया था।
भारत के प्रयासों पर प्रकाश
प्रधानमंत्री ने पिछले दशक में भारत की उपलब्धियों पर चर्चा करते हुए बताया:
40 मिलियन परिवारों को आवास उपलब्ध कराया गया।
120 मिलियन परिवारों को स्वच्छ पेयजल,
100 मिलियन परिवारों को स्वच्छ ईंधन,
115 मिलियन परिवारों को शौचालय की सुविधा प्रदान की गई।
पेरिस प्रतिबद्धताओं में अग्रणी भारत
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने वाला पहला जी-20 देश है।
2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य में से 200 गीगावाट पहले ही हासिल किया जा चुका है।
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदारोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन, मिशन लाइफ, और ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस जैसे वैश्विक प्रयासों पर भी चर्चा की।
ग्लोबल साउथ के लिए समर्थन का आह्वान
प्रधानमंत्री ने छोटे द्वीप विकासशील राज्यों और ग्लोबल साउथ की जरूरतों को प्राथमिकता देने की अपील की। उन्होंने जी-20 देशों से भारत द्वारा तीसरे वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में घोषित वैश्विक विकास समझौते का समर्थन करने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री ने ब्राजील के नेतृत्व में सतत विकास प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता का स्वागत करते हुए ऊर्जा परिवर्तन और सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए भारत के निरंतर योगदान की बात कही।