Political News, अमिताभ कांत ने कहा कि कचरा बीनने वाले या सफाई साथी हैं Invisible Environmentalists, कल्याणकारी योजनाओं की उन्हें जरूरत है

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने आज औपचारिक रूप से कचरा बीनने वाले सफाई साथियों की स्थिति के विश्लेषण को जारी किया।

नई दिल्ली। स्वच्छ समाज के लिए कचरा बीनने का महत्वपूर्ण काम करने वाले सफाई साथियों की देश में सामाजिक और आर्थिक स्थिति अधिक बेहतर नहीं है। दस में से छह सफाई साथियों के अपने बैंक खाते नहीं हैं वहीं अधिकांश सफाई साथ अस्वास्थ्यकर अस्थाई जगहों या टीन शेड्स में रहने को मजबूर हैं।

यूएनडीपी इंडिया (यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम इंडिया) ने इस विषय को लेकर एक विस्तृत विश्लेषण जारी किया है। 14 शहरों के 9300 सफाई कर्मचारियों से मिली जानकारी के आधार पर जारी किए गए विश्लेषण को अब तक का सबसे बड़ा आकलन माना जा रहा है। इसे आज नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने जारी किया।

इस अवसर पर उपस्थित अमिताभ कांत ने कहा कि कचरा बीनने वाले या सफाई साथी सही मायने में अदृश्य पर्यावरणविद् हैं, जो कचरे के निस्तारण में अहम भूमिका निभाते हैं। सफाई साथियों का ठोस प्लास्टिक कचरा प्रबंधन में भी अहम योगदान होता है। नीति आयोग, आवास एवं विकास मंत्रालाय तथा यूएनडीपी के साथ मिलकर समाज के इस अहम वर्ग के उत्थान में अपना योगदान देने को लेकर काफी खुश है।

आकलन में पाया गया कि सफाई साथी अपनी आय और व्यवसाय न बदल पाने को लेकर बाध्य हैं। इसके लिए यूएनडीपी ने कई तरह की कल्याणकारी योजनाओं की सिफारिश की है। इससे पहले यूनएनडीपी ने वर्ष 2021 में सबसे पहले जापान दूतावास के सहयोग ने गोवा राज्य में सफाई साथियों के सामाजिक कल्याण योजना की शुरूआत की थी। केन्द्र सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का संचालर करने वाले सरकारी विभाग और सफाई साथियों के बीच महत्वपूर्ण सेतु का काम करता है। सेतु का काम करता है।

इस अवसर पर उपस्थित जापान दूतावास के सोशल एंड डेवलमेंट मंत्री शिंगो मियामोतो ने कहा कि जापन इस तरह के उत्कृष्ट कार्याे का समर्थन देने में खुशी महसूस करता है जिसका उद्देश्य एक विशेष वर्ग के सामजिक उत्थान के साथ ही प्लास्टिक अपशिष्ट निस्तारण के साथ समाज को सशक्त बनाना हो।

क्या है कचरा बीनने वालों की स्थिति

– दस में से छह सफाई साथियों के पास नहीं है अपना बैंक खाता
– केवल 21 प्रतिशत सफाई साथियों को जनधन योजना का लाभ मिला, जबकि अधिकारी सफाई साथियों ने कहा कि अब भी डिजिटल पेमेंट उनकी पहुंच से बाहर है।
– आधार और मतदाता पहचान पत्र के अतिरिक्त साठ से 90 प्रतिशत सफाई साथियों के पास अन्य किसी तरह का औपचारिक प्रमाणपत्र जैसे जन्म प्रमाणपत्र, आय प्रमाणपत्र, जाति प्रमामणपत्र, रोजगार कार्ड आदि नहीं है।
– पचास प्रतिशत सफाई साथियों के पास अपना राशन कार्ड अवश्य पाया गया
– पांच प्रतिशत से भी कम सफाई साथियों के पास अपना स्वास्थ्य बीमा है।
– अधिकांश सफाई साथी अस्थाई व अस्वच्छकर निवास जैसे टीनशेड्स या सड़क किनारे सोने को मजबूर हैं।
– 90 प्रतिशत सफाई साथियों ने यह स्वीकार किया कि नियमित रूप से पीने के पानी और बिजली की आपूर्ति होती है।
– अधिकांश सफाई साथी लकड़ी आधारित ईंधन पर खाना बनाते हैं।

यूएनडीपी की सिफारिशें

– सफाई साथियों की सामाजिक सुरक्षा के लिए कल्याणकारी योजनाएं लागू की जानी चाहिए
– इस समुदाय के उत्थान के लिए आर्थिक योगदान को मजबूत और औपचारिक बनाना चाहिए।
– सफाई साथियों की आजीविका के लिए अतिरिक्त कौशल विकास प्रशिक्षण और रोजगार के विकल्प बढ़ाने चाहिए।
– सफाई साथियों के बीच सामाजिक सुरक्षा के ताने बाने को
अधिक मजबूत किया जाना चाहिए।