नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण से हाल बुरा है। दिल्ली सरकार की ओर से तमाम स्कूल और कोचिंग संस्थान बंद कर दिया गया है। भवन निर्माण कार्य को भी कुछ दिनों के लिए बंद किया गया है। दिल्ली सरकार के आदेश के बाद कई कार्यालय भी बंद है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में प्रदूषण पर सुनवाई चल रही थी। उस दौरान दिल्ली सरकार की ओर से कहा गया कि प्रदूषण की स्थिति बिगड़ती है तो दिल्ली में लॉकडाउन लगाया जा सकता है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि इस प्रदूषण का जिम्मेदार आप नगर आयुक्त को ठहरा रहे हैं। इस तरह का लंगड़ा बहाना हमें मत दीजिए। अगर आप इस तरह का बहाना देंगे तो हमें आपके द्वारा अर्जित राजस्व का ऑडिट करने और लोकप्रियता के नारों पर खर्च करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली और उत्तरी राज्यों में वर्तमान में पराली जलाना प्रदूषण का प्रमुख कारण नहीं है क्योंकि यह प्रदूषण में केवल 10% योगदान देता है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए निर्माण कार्य, गैर-जरूरी परिवहन, बिजली संयंत्रों को रोकने और वर्क फ्रॉम होम लागू करने जैसे मुद्दों पर कल एक आपात बैठक बुलाने का निर्देश दिया। सुनवाई 17 नवंबर के लिए स्थगित हुई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और एनसीआर क्षेत्र के राज्यों से इस बीच कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम पर विचार करने को कहा। केंद्र द्वारा कल होने वाली आपात बैठक में पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा के मुख्य सचिवों को भी उपस्थित रहने को कहा गया है।
दूसरी ओर, दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि SAFAR ने कहा कि प्रदूषण में 48% तक पराली का योगदान रहा। पिछले 10 दिन में जब गंभीर स्थिति बनी हुई है इस दौरान पराली के प्रदूषण का क्या योगदान है ये तो केंद्र सरकार ने ही जारी किया है। कोर्ट में वो क्या दे रहे हैं और सार्वजनिक रूप से क्या जारी कर रहे हैं। हमने आज सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल किया है कि हम दिल्ली में लॉकडाउन के लिए भी तैयार हैं। लेकिन ये तभी प्रभावी होगा जब पूरे एनसीआर में लॉकडाउन होगा। सरकार प्रदूषण से लड़ने के लिए हर कदम उठाने के लिए तैयार है।