चंडीगढ़। पंजाब में विधानसभा के 117 सदस्यों को चुनने के लिये हुए डाले गए मतों की गिनती बृहस्पतिवार को की जाएगी। अधिकारियों ने कहा कि मतगणना के लिये सभी तैयारियां कर ली गई हैं। राज्य में इस बार अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी (आप) एक प्रमुख दावेदार के रूप में उभरी है, जबकि कांग्रेस बहुकोणीय मुकाबले में सत्ता बरकरार रखने की कोशिश कर रही है। विधानसभा चुनाव के लिए 20 फरवरी को मतदान हुआ था।
पंजाब के मुख्य चुनाव अधिकारी एस करुणा राजू ने बताया कि बृहस्पतिवार को सुबह आठ बजे से 66 स्थानों पर बने 117 केन्द्रों पर मतगणना शुरू होगी। इस बार, 93 महिलाओं और दो ट्रांसजेंडर सहित कुल 1,304 उम्मीदवार मैदान में हैं। उन्होंने बताया कि राज्य में 71.95 प्रतिशत मतदान हुआ था। पिछले तीन विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार सबसे कम मतदान हुआ था। 2017 पंजाब विधानसभा चुनाव में 77.40 प्रतिशत, 2012 में 78.20 प्रतिशत और 2007 में 75.45 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि 2002 में केवल 65.14 प्रतिशत मतदान हुआ था।
कई ‘एग्जिट पोल’ में कांग्रेस के लगातार दूसरी बार सरकार बनाने में नाकाम रहने का अनुमान जताया गया है, जबकि कांग्रेस की पंजाब इकाई के नेता पार्टी की जीत के दावे कर रहे हैं। ‘आप’ के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख भगवंत मान ने भी उनकी पार्टी के राज्य में अगली सरकार बनाने का विश्वास व्यक्त किया है। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख सुखबीर बादल ने उनकी पार्टी के 80 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करने का दावा किया है। शिअद ने इस बार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस बार पहले से बेहतर प्रदर्शन करने का दावा किया है। पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस और भाजपा के चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने की बात कही। चुनाव में ‘आप’ ने खुद को परिवर्तन लाने वाली पार्टी के तौर पर पेश किया है और अपने प्रचार अभियान के दौरान भी लोगों से ‘‘बदलाव’’ के नाम पर ही वोट मांगे, साथ ही राज्य को ‘‘लूटने’’ के लिए पारंपरिक राजनीतिक दलों को निशाना बनाया। ‘आप’ ने मतदाताओं के हर भ्रम को दूर करने के लिए अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की भी घोषणा कर दी। राज्य में 1986 से कभी शिअद, तो कभी कांग्रेस की सरकार ही बनी है।
कांग्रेस के लिए इस बार काफी कुछ दांव पर लगा है, क्योंकि उसे पंजाब से जीत की उम्मीद अधिक है जहां वह खुद को सत्ता में बरकार रखने की पूरी कोशिश कर रही है। उसने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को ही मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किया और उनके जरिए अनुसूचित जाति के वोट हासिल करने की उम्मीद भी की। पंजाब की लगभग 32 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति से नाता रखती है।