नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम किया है। शिक्षा के इसी माॅडल को लेकर आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकार को नसीहत भी दे रही है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने अपने पूरे कार्यकाल में शिक्षा व्यवस्था पर जिस प्रकार से काम किया है, उसकी तारीफ हर कोई कर रहा है।
बजट (Delhi Budget) पर चर्चा के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने कहा कि दिल्ली में पिछले 5-6 सालों में शिक्षा क्षेत्र में जो काम हुआ है उसे क्रांति के रूप में देखा जा रहा है। अब गरीबों के बच्चे भी फर्राटे की अंग्रेजी बोल रहे हैं, वे इंजीनियर और डॉक्टर बन रहे हैं। सरकारी स्कूल के बच्चे अमीरों के बच्चों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद से दो पार्टियों ने इस देश में राज किया। इन्होंने शिक्षा व्यवस्था को जानबूझकर गरीब और अनपढ़ रखा है। ये चाहते थे कि ये बच्चे अनपढ़ और गरीब रहेंगे तो अमीरों को अपनी फैक्ट्रियों और घरों के लिए सस्ते मज़दूर मिल सकेंगे।
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— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 10, 2021
बता दें कि दिल्ली सरकार की ओर से मंगलवार को विधानसभा में पेश बजट (Delhi Budget) मेें शिक्षा के क्षेत्र में अधिक फोकस किया गया है। दिल्ली सरकार ने शिक्षा के लिए 16377 करोड़ रुपए प्रस्तावित किए हैं। शिक्षा का यह बजट पिछले 6 बजटों के अनुसार 25 फीसद ही रखा गया है। दिल्ली सरकार ने कहा है कि इस वर्ष स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को और ऊपर ले जाने के लिए वह इस वर्ष 3 बड़े कदम उठा रही है। वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया की ओर से कहा गया है कि हमारा पहला कदम है नर्सरी से 8वीं तक के लिए नया सिलेबस तैयार करना। दूसरा है दिल्ली का अपना शिक्षा.परीक्षा बोर्ड स्थापित करना और उसके बाद तीसरा है – दिल्ली में 100 स्कूल ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करना। जिनमें 9वीं से लेकर 12वीं तक के छात्रों को वल्र्ड क्लास सुविधाएं देकर पढ़ाया जाएगा। इसके अलावा दिल्ली में एक सैनिक स्कूल खोलने का भी प्रस्ताव है।