निरंतर घट रही है भारतीयों का फर्टीलिटी रेट

पिछले एक दशक में वैश्विक स्तर पर प्रजनन से संबंधित समस्याएं काफी तेजी बढ़ रही हैं। वहीं भारत में भी इसका जोखिम बढ़ा है।

नई दिल्ली। एक अध्ययन में पता चला है कि, उच्च आय वाले देश बढ़ती आबादी का सामना कर रहे हैं और कम आय वाले क्षेत्र उच्च जन्म दर के बीच संसाधन बाधाओं से जूझ रहे हैं। द लांसेट में प्रकाशित एक नए अध्ययन में कहा गया है कि भारत की कुल प्रजनन दर 1950 में 6.18 से घटकर 2021 में 1.91 हो गई है, और 2050 तक 1.3 और 2100 तक 1.04 तक गिर सकती है। कुल प्रजनन दर (टीएफआर) एक महिला द्वारा उसके जीवनकाल में पैदा हुए बच्चों की औसत संख्या है। किसी जनसंख्या को स्थिर बनाए रखने के लिए प्रति महिला 2.1 बच्चों की टीएफआर की आवश्यकता होती है, जिसे प्रतिस्थापन स्तर के रूप में जाना जाता है। जब प्रजनन दर प्रतिस्थापन स्तर से नीचे गिर जाती है, तो जनसंख्या कम होने लगती है। भारत में रिप्लेसमेंट लेवल 2.1 है। द लैंसेट जर्नल में बुधवार को प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि भारत में 1950 में 1.6 करोड़ से अधिक जीवित जन्म दर्ज किए गए थे, जो 2021 में बढ़कर 2.24 करोड़ हो गए। हालांकि, 2050 तक जीवित जन्मों की संख्या घटकर 1.3 करोड़ होने की उम्मीद है, और इससे भी आगे 2100 में 0.3 करोड़।