हितधारकों की सलाहकार समितियों के साथ परामर्श बैठक का दूसरा दौर आयोजित

इस बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार और प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में लगातार प्रयास कर रहा है।

 

नई दिल्ली। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास को गति देने के लिए हितधारकों की सलाहकार समितियों (एसएसी) के साथ परामर्श बैठक का दूसरा दौर आयोजित किया। यह बैठक उपग्रह संचार, इंटरनेट सेवा प्रदाता और बुनियादी ढांचा प्रदाता समितियों के साथ की गई, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष नीति, उपग्रह स्पेक्ट्रम के आवंटन और एसयूसी (स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज) से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई।

बैठक में श्री सिंधिया ने विभिन्न समितियों से प्राप्त फीडबैक और सिफारिशों पर गौर किया और आगामी नीतिगत निर्णयों की दिशा में विचार-विमर्श किया। उन्होंने विशेष रूप से उपग्रह संचार और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के सामने आने वाली चुनौतियों को समझने का प्रयास किया और इन मुद्दों के समाधान के लिए संभावित उपायों पर चर्चा की।

उपग्रह संचार समिति ने भारतीय अंतरिक्ष नीति की वर्तमान स्थिति और भविष्य की योजनाओं पर अपने विचार साझा किए। समिति ने उपग्रह स्पेक्ट्रम के आवंटन की प्रक्रिया को सरल बनाने और इसे अधिक पारदर्शी बनाने के लिए सुझाव दिए। इसके साथ ही, उन्होंने एसयूसी से संबंधित समस्याओं को भी उठाया, जिसमें स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क की उच्च दरें और इसके प्रभावी प्रबंधन पर जोर दिया गया।

इंटरनेट सेवा प्रदाता समिति ने डिजिटल कनेक्टिविटी के विस्तार और उपग्रह आधारित इंटरनेट सेवाओं की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए सुझाव दिए। समिति ने उपग्रह संचार अवसंरचना में निवेश बढ़ाने और तकनीकी नवाचारों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

बुनियादी ढांचा प्रदाता समिति ने अंतरिक्ष आधारित बुनियादी ढांचा के विकास और इसके सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए आवश्यक संसाधनों और नीतिगत सुधारों पर प्रकाश डाला। उन्होंने अंतरिक्ष क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने और नवीन प्रौद्योगिकियों के लिए समर्थन बढ़ाने की सिफारिश की।

श्री सिंधिया ने इन चर्चाओं के दौरान सभी समितियों के सुझावों और चिंताओं को गंभीरता से लिया और आश्वासन दिया कि इन मुद्दों पर उचित कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इन परामर्शों का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक और सशक्त बनाना है।