पटना। बिहार के राजनीतिक गलियारों में नीतीश कुमार को लेकर नया बवाल शुरू हो गया है। राज्य के मंत्री मदन साहनी ने अपने पद से इस्तीफा दिया और नीतीश सरकार पर कई आरोप लगाए। इन आरोपों को लेकर विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने मोर्चा खोल दिया है। अब नीतीश कुमार के साथ भाजपा कैसे इसका जवाब देगी ? कहीं ऐसा तो नहीं कि लालू यादव के जेल से बाहर आने पर बिहार की राजनीति नई इबारत लिखने वाली है ?
मदन साहनी ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है। उनका कहना है कि नीतीश राज में नौकरशाह मंत्री तक की नहीं सुनते हैं। और तो और, चपरासी भी नहीं बात मानते। बिहार सरकार के समाज कल्याण मंत्री मदन साहनी की ओर से कहा गया है कि घर और गाड़ी लेकर क्या करूंगा जब जनता की सेवा ही नहीं कर पा रहा हूं। जब अधिकारी मेरी सुनेंगे ही नहीं तो जनता की सेवा कैसे करूंगा। अगर जनता का काम नहीं कर सकता तो मंत्री बने रहने का कोई मतलब नहीं है। कैबिनेट का निर्णय है कि 30 जून तक ट्रांसफर होना है, लेकिन तीन दिनों से अधिकारी फाइल दबाए हुए हैं।
यदि मदन साहनी के कथन ही राज्य की शासन व्यवस्था की सच्चाई है तो इसे निरंकुश ही कहा जा सकता है। ध्यान देने योग्य है कि ऐसा ही आरोप कुछ साल पहले जीतन राम मांझी ने भी लगाया था। राजनीतिक गलियारों में इस घटनाकम के पीछे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की भूमिका से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। जैसे ही जेल से रिहा होने के बाद लालू यादव पटना पहुंचे थे, उसके बाद राज्य की राजनीतिक उलटफेर की संभावना जताई जा रही थी।
इस संदर्भ में राजद नेता व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का कहना है कि गिरी हुई सरकार का गिरना तय है। मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह हैं। मदन साहनी ने ये तक कहा कि मुख्यमंत्री के आसपास जो लोग रहते हैं उनकी संपत्तियों की जांच कराई जाए, इससे दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है? अब तो नीतीश कुमार को अपनी अंतरआत्मा को जगाना चाहिए।