सियासी शब्दों की कहानी, सतीश झा की जुबानी

पिछले कुछ दिनों में आपने कुछ शब्दों का प्रयोग काफी सुना और देखा होगा, और सभी अपने अपने सुविधा अनुसार इन शब्दों की व्याख्या भी करते हैं।

पिछले कुछ दिनों में आपने कुछ शब्दों का प्रयोग काफी सुना और देखा होगा, और सभी अपने अपने सुविधा अनुसार इन शब्दों की व्याख्या भी करते हैं। आईये क्रमवार इन शब्दों पर नजर डालते हैं :

1. जुमला :- उर्दू का यह शब्द काफी पुराना है, लेकिन अमित शाह जी के कारण इस शब्द की लोकप्रियता आसमान छु रही है, लेकिन सवाल है इसका सही अर्थ क्या है? तो जनाब इसका समानार्थी शब्द है “चर्चा” या “जिक्र”। और भी तरह से इसे प्रयोग कर सकते हैं, जैसे कि “अमा यार क्या कह रहे हो” इसमें ” अमा यार” जुमला है। सामान्य रूप से जुमला का अर्थ है “एक वाक्य” जिसका अर्थ स्पष्ट होता हो। तो इस तरह से हम और आप दिन में हजारों बार जुमला हीं बोलते हैं।

2. गोदी मिडिया:- इस शब्द को आपने नहीं सुना हो ऐसा हो हीं नहीं सकता। इस शब्द को निःसंदेह रविश कुमार ने प्रसिद्ध किया है। सामान्य रूप से इसका अर्थ है किसी एक पक्ष में चले जाना या किसी एक पक्ष के गोद में बैठ जाना, लेकिन रविश कुमार ने इस शब्द का प्रयोग सरकार के पक्ष में लिखने या बोलने वाले पत्रकारों के लिए किया है, बकौल रविश कुमार ऐसे पत्रकार सत्ता पक्ष के कमजोरी को छुपाते हैं और विरोधी दल के कमियों को जरुरत से ज्यादा उछालते हैं। हालांकि कथित गोदी मिडिया के लोगों का कहना है कि यह शब्द कुछ बेरोजगार पत्रकार, जिन्हें कांग्रेस सरकार में मलाई खाने की आदत थी उनकी दिमाग की उपज है, जो अपने झुंझलाहट को ढकने के लिए इसका प्रयोग करते हैं।

3. वाट्स अप यूनिवर्सिटी:- यह शब्द अपेक्षाकृत नया है, जिसका अर्थ होता है सोशल मीडिया पर फर्जी बातें लिखना या अफवाह फैलाना। जो भी व्यक्ति इस तरह की बाते सोशल मीडिया पर करता है उसे वाट्स अप यूनिवर्सिटी का सदस्य बता दिया जाता है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसका नामकरण वैसे लोगों या समूह द्वारा किया गया है जो खुद भी फर्जी खबर सोशल मीडिया पर लिखते हैं या विडियो बनाते हैं। तो वाट्स अप यूनिवर्सिटी एकमात्र यूनिवर्सिटी है जिसका नामकरण करने वाले खुद इसके सबसे महत्वपूर्ण सदस्य हैं।

4. पंद्रह लाख रुपया:- इसका अर्थ कम से कम मुझे बताने की जरूरत नहीं है। इसे नया आयाम देने का श्रेय हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को जाता है। इन्होंने ये जरूर बोला था कि विदेश में भारत का इतना काला धन है कि यदि वह वापस आ जाए तो प्रत्येक भारतीय के हिस्से पंद्रह लाख रुपया आ सकता है। लेकिन इनके विरोधी का कहना है कि नरेंद्र मोदी जी ने प्रत्येक भारतीय को पंद्रह लाख देने का वादा किया था। दिलचस्प यह है कि इसी उदाहरण को समझाने के चक्कर में “जुमला” शब्द का प्रयोग अमित शाह जी ने किया था।

5. पकौड़े तलना:- इसकी ख्याति बैंकों द्वारा मुद्रा लोन देने के कारण हुई है। दरअसल छोटे छोटे कारोबारी को मुद्रा लोन बैंकों द्वारा दिया जाना प्रारंभ किया गया जिसमें रेहड़ी पटरी वाले दुकानदार को भी व्यापार बढ़ाने के लिए इस तरह की सहायता दी गई, जिसमें कुछ पकौड़ा बेचने वाले दुकानदार भी थे। विपक्षियों का कहना है कि यह कोई रोजगार नहीं है जबकि सत्ता पक्ष का कहना है कि पकौड़ा बेचना भी एक रोजगार है। वैसे आप लोगो का इसपर क्या कहना है?

6. भक्त/अंधभक्त और चमचा:-
यह शब्द भी आजकल काफी चर्चा में है। दरअसल विरोधी दल का कहना है कि भाजपा समर्थक सरकार के हर गलत निर्णय का आंख मूंदकर समर्थन करते हैं जैसे कोई भक्त अपने भगवान के लिए करता है। जबकि भाजपा समर्थकों का कहना है कि भाजपा के अलावा सभी दल एक परिवार की जागीर है और उनके समर्थक सिर्फ चमचागिरी करते हैं।
तो यह था भारतीय राजनीति का कुछ नया शब्द और उसका अर्थ। यदि आप कोई और अर्थ बताना चाहें तो आपका स्वागत है।

(सतीश झा राजनीतिक विश्लेषक हैं)