विश्व में पहली बार बनने जा रहा है श्रीमद्भागवत मंदिर


वृंदावन।
श्रीमदभागवत परुाण अपनेआप मेंसपं र्णू र्णमहाग्रथं है। श्रीमदभागवत परुाण को पढ़नेऔर सनु नेमात्र सेही लोभ, क्रोध, दखु दरि द्रता जसै ेकष्टों सेमक्तिुक्ति मि ल जाती है। सखु शांति रोजगार व्यवसाय मेंतरक्की मि लनेके साथ ही आपको अपना जीवन सरल लगनेलगता है। ज्ञान, भक्ति और वरैाग्य के इस महाग्रथं मेंभगवान श्री कृष्ण की लीलाओंऔर उपदेशों का सवि स्तार वर्णनर्ण कि या गया है। श्रीमदभागवत परुाण मेंअपनी आस्था और अखडं वि श्वास रखनेवालेभगवान श्री हरि वि ष्णुऔर वशं ीधर कन्हैया के परम भक्तों के लि ए अत्यतं सखु दायक समाचार है। विश्व में पहली बार श्री भगवान कृष्ण की जन्मस्थली वदंृावन धाम, मथरुा, उत्तर प्रदेश मेंभव्य एवं दिव्य श्रीमद भागवत महापरुाण का वि शाल मदिं दिर बननेजा रहेहैं। इस मदिंदिर की सबसेखास बात के बारेमेंआपको बताना चाहूंगा कि कि इस मदिं दिर मेंश्रीमद भागवत के सपं र्णू र्णश्लोक 18 हजार श्लोक शि लालेख पर आपको एक साथ दर्शनर्श का पण्ुय प्राप्त हो सकेगा।

शास्त्र मेंकहा गया हैकि तने ेयंवांगमयी मर्तिूर्ति:र्ति प्रत्यक्षा वर्ततर्त ेहरे:
सेवेनाण्छुवणात्पाछाद्दर्शनर्श ात्पत्ययानाशि नी। श्रीमदभागवत महापरुाण साक्षात श्री राधा कृष्ण के ही समान हैं। तनि क कल्पना करके देखि ए, श्री मद भागवत के 18 हजार श्लोक के इस मदिं दिर की परि कल्पना को साकार करना अपनेआप मेंकि तना कठि न कार्य है, इस परि कल्पना को साकार करना सभं व हो सका हैक्योंकि येसाक्षात श्री जी के आदेश के समान है।

श्री धाम वदंृावन मेंमि थि ला कंुज आश्रम के सचं ालक श्री कि शोरी शरण जी महाराज बतातेहैंकि यह जो परि सर है वह श्री वदंृावन धाम परि क्रमा मार्ग के प्रांगण मेंस्थि त है…सबसेपहलेइस पावन परि त्र परि सर के बारेमेंकुछ पौराणि क जानकारी अवश्य लेना चाहि ए। वदंृावन धाम के परि क्रमा पथ पर स्थि त अटल वन का परि सर हैजहां भगवान श्री कृष्ण नेअक्रूर जी को कर्म पथ पर अटल रहनेका वि श्वास दि लाया था। इस परि सर मेंनि रंतर 34 वर्ष सेराधेकृष्ण के अटल नाम का दि वा रात्रि कीर्तनर्त लगातार जारी है, एक पल. एक सेकेंड के लिए भी ये कीर्तनर्त स्थगि त नहीं हुआ है। श्रीमदभागवत के इस मदिं दिर मेंएक एक श्लोक का दान भी आपके और आपके पर्वूजर्व ों की कीर्ति को अमर कर देने वाला सकु र्म के तौर पर स्थापि त हो सकता है। श्रीमदभागवत महापरुाण मेंसाक्षात कहा गया हैकि श्रीमदभागवत का एक एक श्लोक भगवान के आभषू ण के समान हैं।