शून्य से शिखर की अनूठी यात्रा का अप्रतिम उदाहरण थे सुब्रत राय

कृष्णमोहन झा

देश विदेश में फैले विशाल सहारा परिवार के मुखिया सुब्रत राय नहीं रहे । दीवाली के दो दिन बाद 75 वर्ष की आयु में मुंबई के एक प्रतिष्ठित और विख्यात अस्पताल में उनका निधन हो गया। यद्यपि वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे परन्तु यह कौन जानता था कि अद्भुत इच्छा शक्ति ,तीक्ष्ण बुद्धि और कर्मठ व्यक्तित्व के धनी सुब्रत राय की धरती पर यह आखिरी दीवाली है लेकिन विधाता को जो मंजूर था वही हुआ। सहाराश्री सुब्रत राय के निधन का समाचार चंद घंटों में ही देश के कोने कोने तक पहुंच गया और इसके साथ ही मीडिया में उनकी सफलता की ढेरों कहानियों का प्रसारण प्रारंभ हो गया । सुब्रत राय का का व्यक्तित्व इतना बहुआयामी था कि उसे चंद शब्दों की सीमा में बांधना मुमकिन भी नहीं है। सहाराश्री की बहुमुखी प्रतिभा की प्रशंसा में जितना भी कहा और लिखा जाए उसके संपूर्ण होने का दावा करना बहुत मुश्किल है। इसमें दो राय नहीं हो सकती कि वे बहुत कम आयु में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहिचान बनाने और अपनी बहुमुखी प्रतिभा का लोहा मनवाने में सफल हुए। सुब्रत राय ने अपने तीन चौथाई शतकीय जीवन यात्रा में जितने पड़ाव तय किए , हर जगह अपनी अमिट छाप छोड़ने में जो सफलता अर्जित की उसकी मिसाल अन्यत्र मिलना मुश्किल है। उनके कार्य क्षेत्र का दायरा असीमित था और हर जगह हमेशा वे कामयाब लोगों की पहली कतार में खड़े दिखाई दिए। वे केवल जीतने के लिए खेलते थे लेकिन अपनी हर जीत का श्रेय उन्होंने विनम्र भाव से कोटि कोटि सहारा परिवारजनों को दिया । देश विदेश में अपने कार्य क्षेत्र में शीर्ष पर विद्यमान दिग्गज हस्तियां उनके विशाल मित्र परिवार में शामिल थीं और सभी से उनकी प्रगाढ़ मैत्री थी। संबंधों को पूरी शिद्दत के साथ निभाने का जज्बा उनके अंदर कूट कूट कर भरा हुआ था। उनके बेटे के विवाह समारोह में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और भारत के प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी भी पधारे थे। एक सप्ताह से अधिक समय तक चले अनूठे विवाह समारोह में लगभग दस हजार गणमान्य अतिथियों ने नवदम्पत्ति को आशीर्वाद दिया था जिनमें खेल जगत, बालीवुड, विभिन्न राजनीतिक दलों सहित समाज के हर वर्ग की दिग्गज विभूतियां शामिल थीं। सभी के साथ उनके आत्मीय रिश्ते थे। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर भी उनके मित्रों में शामिल थे।सही मायनों में वे हर दिल अजीज शख्सियत के मालिक थे। उनके इन्हीं गुणों ने उन्हें सुब्रत राय से सुब्रत राय बनाया था।
सुब्रत राय अब हमारे बीच नहीं हैं परन्तु उनकी यादें हमेशा हमारे मन-मस्तिष्क में जीवंत रहेंगी। शून्य से शिखर तक की उनकी यात्रा हम कभी नहीं भुला पाएंगे। दुनिया में ऐसे भी लाखों लोग लोग हुए हैं जो लाखों रुपए का निवेश करने के बावजूद भी सब कुछ गंवा बैठे और सुब्रत राय ने मात्र दो हजार रुपए का निवेश करके उस पर अपने जुनून, जज्बा और अद्भुत इच्छा शक्ति के बल पर डेढ़ लाख करोड़ का आर्थिक साम्राज्य स्थापित कर दिया। बताया जाता है कि अपना विशाल सहारा परिवार बनाने के पहले उन्होंने स्कूटर पर नमकीन भी बेचा। सहारा परिवार में आदरपूर्पवक सहाराश्री कहकर संबोधित किया जाता था। निश्चित रूप से वे इस संबोधन के अधिकारी थे क्योंकि सुब्रत राय से हटकर आप सहारा समूह की कल्पना भी नहीं कर सकते थे। वे एक दूसरे के पूरक नहीं बल्कि पर्याय बन गये थे। उनकी यह पहिचान जीवन पर्यन्त बनी रहेगी और इसमें दो राय नहीं हो सकती कि सहारा समूह को हमेशा सहाराश्री सुब्रत राय के नाम से ही जाना जाएगा। सुब्रत राय ने अपने कर्मठ जीवन में न तो कभी पीछे मुड़कर देखा और न ही कभी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी हार मानी। उनके इसी स्वभाव ने उन्हें शून्य से शिखर तक की ऊंचाईयों तक पहुंचा दिया था। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सुब्रत राय के निधन पर जिन शब्दों में अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि दी है वह उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की अनूठी विशेषताओं को उजागर करने के लिए पर्याप्त है। अखिलेश यादव कहते हैं कि ” वे एक अति सफल व्यवसायी होने के साथ ही अति संवेदनशील विशाल हृदय वाले व्यक्ति भी थे जिन्होंने अनगिनत लोगों की सहायता की और उनके सहारा बने।” अतीत में भारतीय क्रिकेट टीम के महत्वपूर्ण सदस्य रह रहे युवराज सिंह कहते हैं कि जब मुझे कैंसर हुआ तो वे उन थोड़े से लोगों में से एक थे जो उनके साथ खड़े थे।
एक सफल उद्योगपति के रूप में सुब्रत राय ने जो प्रतिष्ठा और ख्याति अर्जित की उससे भी बड़ी पहिचान उन्होंने एक बेहद नेकदिल, सहृदय और संवेदनशील इंसान के रूप में बनाई। कारगिल युद्ध के शहीदों के परिजनों के आर्थिक पुनर्वास के लिए उन्होंने सहारा समूह की ओर से जो वित्तीय सहायता प्रदान की थी उसकी तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने भूरि भूरि प्रशंसा की थी। इसी तरह मुंबई के भयावह आतंकी हमले और दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले के वक्त भी प्रभावित परिवारों की मदद के लिए सुब्रत राय आगे आए और उन्हें हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया। उल्लेखनीय है कि मिशनरीज ऑफ चैरिटीज की संस्थापक मदर टेरेसा ने भी सहाराश्री की अनुपम सेवा भावना और संवेदनशीलता से प्रभावित होकर उन्हें अपना आशीर्वाद प्रदान किया था।
सहाराश्री का बहुमूल्य मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए उन्हें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी , बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय , भारतीय प्रबंधन संस्थान, में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया।लंदन के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय ने उन्हें आनरेरी डाक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया। ब्रुसेल्स में यूरोपीय संसद को संबोधित करने के लिए जब सहाराश्री उठे तो तालियों की गड़गड़ाहट से सारा सभा स्थल गूंज उठा था।विभिन्न क्षेत्रों में सहाराश्री की उल्लेखनीय उपलब्धियों ने उन्हें ग्लोबल लीडरशिप अवार्ड, बिजनेसमैन आफ द ईयर अवार्ड, आदि सुप्रतिष्ठित पुरस्कारों का हकदार बनाया। इंडिया टुडे पत्रिका ने उन्हें देश के 50 सर्वाधिक प्रभावशाली भारतीयों की सूची में शामिल किया था। सहाराश्री के बहुआयामी व्यक्तित्व की चर्चा करते समय अगर उनके गहन अध्ययन मनन और चिंतन को शामिल ना किया जाए तो उनके व्यक्तित्व का अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू छूट जाएगा। सहाराश्री द्वारा रचित विचारोत्तेजक ग्रंथ मान सम्मान और आत्म सम्मान, थिंक विद मी और लाइफ मंत्रास बेस्ट सेलर साबित हुई हैं।
सुब्रत राय ने तीन दशक से भी कम अवधि में सहारा समूह का विशाल आर्थिक साम्राज्य खड़ा करने में जो कामयाबी हासिल की किया , केवल उसकी चर्चा इस लेख में करने से मेरा मंतव्य पूरा नहीं हो सकता। मैं अपने इस लेख के माध्यम से यहां उनके देशप्रेम के उस जज्बे को सहारा प्रणाम करना चाहता हूं जिसने 6 मई 2013 में लखनऊ में एक अनूठा कीर्तिमान बना दिया था ।उस लअविस्मरणीय तिथि को लखनऊ में 30 फुटबॉल ग्राउंड से भी बड़े मैदान में 1 लाख 21 हजार लोगों ने एक सी पोशाक पहनकर होकर एक स्वर में राष्ट्रगान गाकर जब ऐतिहासिक विश्व रिकॉर्ड बनाया था उस समय सहाराश्री सुब्रत राय का देशप्रेम की देदीप्यमान आभा से चमकता चेहरा भला कभी भुलाया जा सकता है । सुब्रत राय के सहारा समूह ने टीम इंडिया को 13 वर्षों तक स्पांसर करके यह सिद्ध कर दिया था कि एक बड़ा आर्थिक साम्राज्य खड़ा करना भर उनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य नहीं है। उन्होंने जब सहारा समूह की नींव रखी तभी यह निश्चय कर लिया था कि उनका अपना सहारा परिवार दुनिया भर में एक मिसाल बन जाए और यह उनकी अद्भुत इच्छा शक्ति और जुनून का ही परिणाम था कि एक दिन देश में भारतीय रेल के बाद दूसरे नंबर का सबसे बड़ा परिवार सहारा परिवार बन गया । सुब्रत राय की कहानी ऐसे उदाहरणों से भरी पड़ी है।निःसंदेह दुनिया में कामयाब लोगों की कमी नहीं है परंतु सुब्रत राय के अंदर जो जुनून, जज्बा और इच्छा शक्ति की जो त्रिवेणी समाई हुई थी वह विरले लोगों को ही वरदान में मिलती है।
सहाराश्री के निधन से राजनीतिक, सामाजिक, फिल्म जगत, क्रीड़ा जगत , पत्रकारिता सहित राष्ट्रनिर्माण से हर क्षेत्र में जिस तरह शोक व्याप्त है वह इस बात का परिचायक है कि उन्हें समाज के हर वर्ग का स्नेह और सम्मान प्राप्त था। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल,मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव,छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल , फिल्म अभिनेता अनुपम खेर, अनिल कपूर, रितेश देशमुख, जैसी भारतीय फिल्म जगत की दिग्गज हस्तियों ने सुब्रत राय के निधन को अपनी व्यक्तिगत क्षति भी बताया है।‌प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता रजा मुराद की इस बात से कौन असहमत हो सकता है कि सुब्रत राय का निजी जीवन फेयरीडेज के समान था जो हम किताबों में पढ़ते हैं।


(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक हैं।)