दिल्ली। नॉर्थ दिल्ली में 7 मिलियन की आबादी को बिजली सप्लािई करने वाली अग्रणी पावर यूटिलिटी टाटा पावर-डीडीएल और भारत के प्रतिष्ठित संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी आईआईटी रुढ़की ने अपनी ‘ऊर्जा अर्पण’ पहल के तहत एनर्जी के सदुपयोग को बढ़ावा देने और अधिक ग्रीन एवं सस्टेनेबल भविष्य के मद्देनज़र नए शोध तथा समाधानों के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस एमओयू पर श्री गणेश श्रीनिवासन, सीईओ, टाटा पावर-डीडीएल और प्रोफे. एम के सिंघल, एचओडी, हाइड्रो एवं रीनुएबल एनर्जी, आईआईटी रुढ़की ने दोनों संगठनों के सीनियर अधिकारियों की मौजूदगी में नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए।
इस एमओयू के साथ ही, दोनों संगठनों के बीच महत्वपूर्ण भागीदारी शुरू हो गई है जो व्यापक स्तर पर बदलाव लाने के साथ-साथ परस्पर जानकारी का आदान-प्रदान और सहयोगात्मक प्रयासों को बढ़ावा देगी। ‘ऊर्जा अर्पण’ पहल के तहत, टाटा पावर-डीडीएल का मकसद हमारे पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एनर्जी के सदुपयोग को बढ़ावा देना है, और यह पहल तभी सफल हो सकती है जबकि युवाओं (स्कूल एवं कॉलेजों के स्टूडेंट्स), रिहाइशी तथा इंडस्ट्रियल एसोसिएशंस, एनजीओ एवं सस्टेनेबिलिटी पर ध्यान केंद्रित करने वाले संस्थानों समेत विभिन्न हितधारकों की इसमें भागीदारी हो।
यह समझौता टाटा पावर-डीडीएल को सस्टेनेबल एवं एनर्जी-एफिशिएंट भविष्य की ओर तेजी से कदम बढ़ाने में मदद करेगा।
इस समझौते के बारे में, श्री गणेश श्रीनिवासन, सीईओ, टाटा पावर-डीडीएल ने कहा, “आईआईटी रुढ़की के साथ हमारा गठबंधन हमारे अनुभवों और उनकी एकेडमिक श्रेष्ठता का परस्पर मेल कराते हुए, ‘ऊर्जा अर्पण’ के अंतर्गत रिसर्च पेपर और अधिक इनोवेटिव विचारों को सामने लाने में मददगार होगा। यह गठबंधन हमारे युवाओं की शानदार प्रतिभा का उदाहरण है, जो हमें अधिक हरे-भरे और सस्टेनेबल भविष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा।”
प्रोफे. एम के सिंघल, एचओडी, हाइड्रो एवं रीनुएबल एनर्जी, आईआईटी रुढ़की ने इस गठजोड़ के बारे में कहा, “हम इस एमओयू को लेकर काफी उत्साहित हैं। हम भारत में ज़मीनी स्तर की समस्याओं के मद्देनज़र पेश आने वाली व्यावहारिक समस्याओं के समाधान के लिए टाटा पावर-डीडीएल के साथ मिलकर काम कर रहे हें। हमें उम्मीद है कि शोध संबंधी यह गठबंधन अधिक स्मार्ट और कुशल डिस्ट्रिब्यूशन ग्रिडों को साकार करने में मददगार साबत होगा। डिपार्टमेंट में मास्टर और डॉक्टरल छात्रों को भी इस गठबंधन के चलते वास्तविक दुनिया की समस्याओं पर काम करने का अवसर मिलेगा।”