नई दिल्ली। किसान आंदोलन का कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है। संसद में भले ही गतिरोध हो। विपक्षी दलों के सांसदों ने हो-हल्ला किया, लेकिन केंद्र सरकार टस से मस नहीं हो रही है। वह नए कृषि कानूनों को रद्द करने के मूड में किसी सूरत में नहीं है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि हम 5 सितंबर को पंचायत करेंगे। पंचायत में हम आंदोलन को आगे बढ़ाने पर चर्चा करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ यह आंदोलन किसानों के भविष्य व अस्तित्व को बचाने की निर्णायक लड़ाई है, अतः सभी किसान भाई, सरकार की इन किसान विरोधी नीतियों को समझें एवम अधिक से अधिक किसानों को जागरूक कर किसान आंदोलन में सहयोग करें !
किसानों के मुद्दों पर कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के सांसद लगातार संसद में आवाज उठा रहे हैं।पंजाब कांग्रेस के सांसदों ने राजधानी दिल्ली में गांधी मूर्ति के सामने नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया।शिरोमणि अकाली दल ने नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ संसद के बाहर विरोध किया। हरसिमरत कौर बादल ने कहा, “जिस दिन से सदन शुरू हुआ है मैं हर रोज़ स्थगन प्रस्ताव दे रही हूं। केंद्र सरकार नए कृषि क़ानूनों पर चर्चा से भाग रही है और संसद की परंपरा की धज्जियां उड़ा रही है।”
वहीं, कांग्रेस की ओर से बार-बार कहा गया है कि मोदी सरकार के थोपे गये तीन काले कानून अन्नदाता को तबाह कर रहे हैं। इन्हीं काले कानूनों के खिलाफ अन्नदाता देश की राजधानी की सरहदों पर बैठा हुआ है। मोदी सरकार अन्नदाता के मुद्दों पर चर्चा करने से डर रही है, अपनी पोल खुलने से डर रही है।