काम कर रही है कोविड वैक्सीन, क्या कह रही है सरकारी आंकड़ें

विशेषज्ञ कोविड के संदर्भ एक ऐसी आदर्श स्थिति की उम्मीद जताते हैं जबकि कोविड हमारे बीच टीबी और एचआईवी के मरीजों की तरह मौजूद रहे, जिसके मरीज अभी देखे जाते हैं, बीमारी पूरी तरह खत्म नहीं हुई, लेकिन संक्रमण की आक्रमकता को दवाओं और वैक्सीन के जरिए काफी हद तक कम किया जा सका है।

नई दिल्ली। तीसरी लहर कब आएगी और इसकी तीव्रता कितनी होगी यह मुख्य रूप से चार बातों पर निर्भर करेगा, पहला हमारी आबादी का कितना प्रतिशत हिस्सा कोविड संक्रमित होने के बाद प्राकृतिक एंटीबॉडी प्राप्त कर चुका है या कितने प्रतिशत लोगों ने वैक्सीन लगवा ली है। दूसरा, कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन लोग कितनी गंभीरता से कर रहे हैं? तीसरा कोविड वायरस के नये वेरिएंट्स की क्या स्थिति है क्या यह अधिक संक्रामक और गंभीर हैं? चौथा कुल आबादी के कितने प्रतिशत हिस्से को कोविड का वैक्सीन दिया जा चुका है। इसमें अन्य बातों को छोड़ दिया जाएं तो दूसरे तथ्य को अपनाना हमारे हाथ में है। यदि हम सभी गंभीरता से कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करेंगें तो निश्चित रूप से तीसरी लहर को टाला जा सकता है। इसके साथ ही यदि टीकाकरण की गति को बढ़ा दिया जाए तब भी हम तीसरी लहर से बच सकते हैं। वायरस के संदर्भ में अभी भी कुछ ऐसी बातें जिसके बारे में हमें अधिक नहीं पता है जैसे कि कोविड के अब किस नये वेरिएंट का हमला होगा? इनती अधिक अनिश्चितता के बावजूद औपचारिक रूप से कोविड से लड़ने के लिए हमारे पास दो ही हथियार है पहला उपलब्ध वैक्सीन और कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन।
आईसीएमआर ने आशंका जताई कि कोविड की तीसरी लहर तीसरी तीन हफ्ते में आ सकती है, जिसका असर अगस्त से दिसंबर के बीच रहेगा। देश के कुछ राज्यों में कोविड के बढ़ते मामले इस संदर्भ में चिंता का विषय हो सकते हैं। केरल (155327) और महाराष्ट्र (81933) में लगातार कोविड मामलों में तेजी देखी जा रही है। इस बीच ताजा सीरो सर्वेक्षण कहता है कि देश की 68 प्रतिशत आबादी कोविड के संपर्क में आ चुकी है। कोविड की दूसरी लहर ने ग्रामीण तथा शहरी दोनों क्षेत्र के लोगों को प्रभावित किया है। अब प्रश्न यह उठता है कि अगर एक बड़ी आबादी कोविड संक्रमित हो चुकी है और टीकाकरण कार्यक्रम भी औसत रफ्तार से चल रहा है तब भी क्या कोविड की तीसरी लहर की भयावता दूसरी लहर जितनी होगी?
फरवरी महीने के बाद जब देश में दूसरी लहर ने दस्तक दी थी, उस समय टीकाकरण शुरू हुए अधिक समय नहीं हुआ था, इसलिए विशेषज्ञ भी इस बात के लिए आश्वस्त नहीं थे कि कोविड की कोई भी वैक्सीन कितने दिन के लिए कितनी मजबूत प्रतिरक्षा देगी। लेकिन तीसरी लहर से पहले हमारे पास कोविड टीकाकरण अभियान को शुरू हुए छह महीने से अधिक का समय और टीकाकरण करा चुकी एक बड़ी आबादी (45.55 करोड़) उपलब्ध है जो इस बात का प्रमाण है कि टीकाकरण पर लोगों का विश्वास बढ़ा है। अब बात करते हैं इस विषय पर कि कोविड वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद भी यदि कोविड होगा तो वह कितना गंभीर होगा या वैक्सीन के बाद संक्रमण होने के बाद यह निष्कर्ष निकाला जाएं कि वैक्सीन असर नहीं कर रही। जबकि ऐसा नहीं है कोविड संक्रमण और कोविड टीकाकरण के वैश्विक स्तर की अगर बात करें तो इस समय एशिया सहित यूरोप में के कई देशों में कोविड के मामले फिर से बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन औसतन मृत्युदर पहली लहर के एवज में कम है। 30 जुलाई 2021 तक के आंकड़ों के अनुसार नार्थ अमेरिका के मैक्सिको में 19223 नये कोविड के मरीजों में 381 मरीजों की संक्रमण के कारण मृत्यु हुई, जबकि 11 हजार अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिए गए। यूक्रेन में 962 नये कोविड मरीज देखे गए जबकि मृत्यु 14 लोगों को हुई। पाकिस्तान में 4,537 नये कोविड मरीज आए और 86 मरीजों की मौत हुई। भारत में पिछले एक हफ्ते के कोविड ग्राफ पर अगर नजर डाले तो 23 जुलाई को कोविड के देशभर में 39489 नये मरीज देखे गए और 541 मरीजों की मौत हुई। 28 जुलाई को 43211 नये मरीज और देशभर में संक्रमण से 641 लोगों की मौत हुई। संक्रमण के एवज में मृत्युदर की अगर बात करें तो जून महीने में इसमें पिछले कुछ महीने में काफी अंतर देखा गया है। कोविड टीकाकरण की नेशनल टास्क फोर्स और इंनाकाग के को- चेअर डॉ. एनके अरोड़ा कहते हैं कि वायरस का म्यूटेशन होना स्वाभाविक है, अगर हम वायरस के प्रभाव से बचने की कोशिश के लिए टीकाकरण कर रहे हैं तो वायरस भी अपने अस्तित्व को बचाने के लिए स्वरूप बदलेगा, जब अधिक लोग संक्रमित होते हैं तो म्यूटेशन मायने रखता है।