नई दिल्ली। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह – कर्मयोगी सप्ताह के हिस्से के रूप में 24 अक्टूबर को “आदिवासी संवाद: चुनौतियां और पहल” विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया। भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय की अपर सचिव सुश्री आर. जया ने अपने संबोधन में भारत की जनजातियों की सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक विकास में संवैधानिक प्रावधानों के महत्व को समझने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने 2047 तक सिकल सेल रोग के उन्मूलन के उद्देश्य से मंत्रालय की पहलों के बारे में भी बताया। इस दौरान उन्होंने मिशन के वांछित उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में मंत्रालय द्वारा किए गए प्रशिक्षण कार्यशालाओं, मॉड्यूल, प्रचार अभियान के बारे में बताया। अब तक उठाए गए कदमों की सराहना करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रतिभागियों द्वारा इस वेबिनार से प्राप्त अंतर्दृष्टि निरंतर शिक्षण और क्षमता निर्माण की संस्कृति को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह के तहत किए जा रहे प्रयासों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण होगी ।
राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान की विशेष निदेशक और आईआईपीए, नई दिल्ली की चेयर प्रोफेसर प्रो. नूपुर तिवारी ने राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह के तहत आयोजित वेबिनार के उद्देश्यों और एजेंडे के बारे में बताया। अपने संबोधन के दौरान, उन्होंने भारत में जनजातियों को समझने के लिए बुनियादी ज्ञान, स्वतंत्रता के बाद से जनजातियों के विकास और कल्याण के लिए सरकार द्वारा अपनाई गई नीति और दृष्टिकोण, महत्वपूर्ण विधायी संरचनाओं ढाँचों के विवरण और आदिवासियों को सशक्त बनाने के लिए सरकार द्वारा की गई अभिनव पहलों के बारे में लोगो को बताया।
बाल चिकित्सा हेमाटोलॉजी-ऑन्कोलॉजी विभाग, पीजीआईसीएच, नोएडा की एडिशनल प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष डॉ. नीता राधाकृष्णन ने सिकल सेल रोग के उन्मूलन पर राष्ट्रीय मिशन के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने प्रतिभागियों को सिकल सेल रोग, आदिवासी समुदायों में इसकी व्यापकता, लक्षण, जटिलताएं, उपचार, जागरूकता और मिशन के तहत लक्ष्यों को प्राप्त करने की रणनीति से परिचित कराने सहित प्रमुख तथ्यों और आंकड़ों पर प्रकाश डाला।
वेबिनार के दौरान अपने संबोधन में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. बीएम ज्योतिषी ने अनुसूचित जनजातियों के लिए संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों का व्यापक अवलोकन प्रस्तुत किया। उनकी प्रस्तुति भारतीय संविधान के तहत अनुसूचित जनजाति को दिए गए राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक अधिकारों पर केंद्रित थी, जिससे प्रतिभागियों को अनुसूचित जनजाति समुदायों की सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनी ढांचे के बारे में बहुमूल्य जानकारी मिली। डॉ. ज्योतिषी ने संविधान में निहित प्रमुख प्रावधानों को पढ़ा। उन्होंने इन प्रावधानों से संबंधित प्रासंगिक उदाहरण साझा किए, उनके कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों और हासिल की गई प्रगति पर प्रकाश डाला।