UP Assembly Election 2022 : जयंत और अखिलेश का साथ, कितना होगा भाजपा के लिए सिरदर्द

जयंत चौधरी और अखिलेश यादव। दोनों की राजनीतिक विरासत है। एक के पास पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का नाम है, तो दूसरे के पास पिता मुलायम सिंह यादव की विरासत और अपने मुख्यमंत्रित्व काल का अनुभव। दोनों की सोच एक है कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा से सत्ता झटक ली जाए।

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की सियासत में जैसे ही रालोद नेता जयंत चौधरी और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव की नजदीकियां बढ़ने लगी, भाजपा खेमे में परेशानियों के बढ़ने की खबर भी सियासी गलियारे में होने लगी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ विधानसभा सीटों को लेकर दोनों राजनीतिक दलों में खींचतान रही, लेकिन अब कहा जा रहा है कि मामला सुलझा लिया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, रालोद नेता को करीब 3 दर्जन के करीब विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी दे सकती है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट बहुल विधानसभा सीटों पर अभी भी चौधरी चरण सिंह के परिवार का दबदबा है। ऐसे में जयंत चौधरी अपने दादा और पिता अजीत सिंह के विरासत के बूते राजनीति चमका सकते हैं। रालोद को विधानसभा की 36 सीटें देने पर सहमति बनने की बात बताई जा रही है। जयंत 30 सीटों पर रालोद और छह सीटों पर सपा के सिंबल पर उम्मीदवार उतारेंगे।

जैसे ही राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा नेता अखिलेश यादव के साथ की तस्वीर जयंत चौधरी ने अपनी ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया, तो इसके सियासी मायने निकाले जाने लगे।

मंगलवार को लखनऊ में रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की। कुछ देर बाद ही अखिलेश यादव ने मुलाकात की फोटो ट्वीट की और लिखा ‘बदलाव की ओर’।


असल में, समाजवादी पार्टी को लगता है कि किसान आंदोलन से भाजपा की साख को बट्टा लगा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान और मतदाता भाजपा से नाराज हैं। ऐसे में जयंत चौधरी के साथ आने से सपा को लाभ मिल सकता है। इसलिए दोनों विधानसभा चुनाव में एक दूसरे का हाथ थामकर भाजपा को शिकस्त देने की योजना बना रहे हैं। जयंत चौधरी 45 सीटें चाहते थे। उन्होंने तर्क रखा कि यूपी की 45 विधानसभा सीटों पर उनकी मजबूत पकड़ है। इस लिहाज से उन्हें इतनी सीटें दी जानी चाहिए। दोनों नेताओं के बीच घंटों चली बैठक के बाद रालोद को 36 सीटें देने पर सहमति बनने की बात बताई जा रही है।