नई दिल्ली। करीब दो साल से कोरोना महामारी के खिलाफ भारत की जंग को पूरी दुनिया ने देखा है। जिस प्रकार से भारत ने पूरी तत्परता के साथ लड़ाई लड़ी है, उसकी मिसाल दी जा रही। कोरोना वायरस के खिलाफ देश के वैज्ञानिकों ने दिन-रात काम करके वैक्सीन तैयार की। टीकाकरण के माध्यम से केन्द्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को धरातल पर उतारा गया। 16 जनवरी, 2021 से शुरू किया गया देशव्यापी टीकाकरण अभियान अब पौने दो सौ करोड़ डोज तक पहुंच गया है। इस महामारी के खिलाफ विज्ञान ने अपनी ताकत दिखाई तो डॉक्टर्स के साथ तमाम स्वास्थ्यकर्मियों ने खुद की चिंता से अधिक समाज और देश की चिंता की, जिसका नतीजा, हम सबके सामने है।
असल में, भारत का कोरोना टीकाकरण अभियान सारे विश्व के लिए अनुपम उदाहरण बन गया है। टीकाकरण अभियान में अहम पड़ाव उस समय प्राप्त हुआ जब दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान ने मात्र नौ महीने में सौ करोड़ टीकाकरण का एक स्वर्णिम कीर्तिमान भी अपने नाम कर लिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना टीकाकरण अभियान की इस उल्लेखनीय सफलता को टीम इंडिया की जीत बताते हुए कहा था कि भारत ने इतिहास रच दिया है। यह उपलब्धि भारतीय विज्ञान, उद्यमों और 130 करोड़ देशवासियों की सामूहिक भावना की जीत है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी भारत की इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा है कि मजबूत राजनीतिक नेतृत्व के बिना यह संभव नहीं था। जब देश कुशल और सशक्त नेतृत्व में हो, तो हर मुश्किलों से पार पाया जाता है। यूनिसेफ ने भी भारत की इस उपलब्धि को शानदार बताया था।
ध्यान देने वाली बात है कि देश में कोरोना संक्रमण की शुरुआत होते ही उसे नियंत्रित करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने देशव्यापी लॉकडाउन लागू करने का जो कठोर फैसला किया था उसकी भी विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ने प्रशंसा की थी। कोरोना टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद विपक्ष ने इसे लेकर बहुत सारे सवाल उठाए थे कुछ लोगों ने टीके के हानिकारक दुष्प्रभाव होने की आशंका भी व्यक्त की थी। कभी टीकों की उपलब्धता और कभी उसकी गुणवत्ता पर सवाल उठाकर सरकार पर निशाना साधने के प्रयासों में विपक्ष ने कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन पौने दो सौ करोड़ से अधिक वैक्सीन का डोज लग जाना इस बात का संकेत है कि हमारे देशवासियों का वैज्ञानिकों और डॉक्टरों पर पूरा भरोसा है।
भारतीय वैज्ञानिकों ने चंद महीनों के अंदर ही न केवल टीका विकसित करने में सफलता हासिल कर ली बल्कि सघन प्रयोगों के जरिए यह सुनिश्चित करने में भी सफल हो गए कि भारत में विकसित टीके पूरी तरह सुरक्षित और दुष्प्रभाव रहित हैं। यद्यपि सभी राज्य सरकारों ने अपने प्रदेश की अधिक से अधिक आबादी का टीकाकरण करने में कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात में टीकाकरण का प्रतिशत दूसरे प्रदेशों का योगदान दूसरे राज्यों से अधिक रहा। देश में नौ माह के अंदर 100 करोड़ कोरोना टीके लगाने की ऐतिहासिक उपलब्धि को यादगार बनाने के लिए कई आयोजन भी किए गए। उसके बाद केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के हर घर दस्तक अभियान से भी टीकाकरण को गति मिली।
▪️India’s Cumulative COVID-19 Vaccination Coverage exceeds 174.64 Cr
▪️More than 37.86 lakh Vaccine Doses administered in the last 24 hours
▪️Recovery Rate currently stands at 98.12%
Read here: https://t.co/f8NXcNtesU #IndiaFightsCorona pic.twitter.com/57Lx9RSnTu
— PIB India (@PIB_India) February 18, 2022
अंधेरा कितना भी घना हो, यदि आपने दीया जलाया है, तो वह उजियारा लाएगा ही। निराशा का अंधकार भगाने के लिए प्रधानमंत्री के कहने पर पूरे देश को उस अनूठे दीपोत्सव की स्मृतियां आज भी याद है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा था कि पिछली दीवाली के समय हम कोरोना संकट में थे परंतु कोरोना टीकाकरण अभियान की अपार सफलता ने इस दीवाली के पहले ही हमें न केवल आत्मविश्वास से भर दिया है बल्कि यह संदेश भी दिया है कि हमारे देश में बना टीका हमें शत प्रतिशत सुरक्षा प्रदान कर सकता है।
बहरहाल, देश में कोरोना टीके की पौने दो सौ करोड़ डोज लग जाना इस बात का द्योतक है कि हर नागरिक अपने वैज्ञानिक और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ है। किशोरों के लिए शुरु किया गया टीकाकरण भी सफलता के साथ आगे बढ़ रहा है। देश नैराश्य से निकल चुका है और नए उत्सव के लिए तैयार है।