नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार पर भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा है कि दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार की यह पराकाष्ठा है। वह अब जांच एजेंसियों के पत्रों का जवाब देना भी जरूरी नहीं समझती है। गुप्ता ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर उनके द्वारा सीवीसी में दी गई शिकायत के संबंध में दिल्ली सरकार के सतर्कता आयुक्त की चिट्ठी का भी जवाब सरकार नहीं दे रही है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि दिल्ली जल बोर्ड में भ्रष्टाचार का बड़ा खेल हुआ है, जिसे सरकार दबाने और जनता से छुपाने पर आमादा है।
दिल्ली जल बोर्ड में वित्तीय गड़बड़ियों का हवाला देते हुए उन्होंने विगत 5 सितम्बर 2024 को केंद्रीय सतर्कता आयोग को पत्र भेजकर दिल्ली जल बोर्ड में पाई गई वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की जांच करने की मांग की थी। दिल्ली सरकार के मुख्य सतर्कता अधिकारी ने इस पर कार्रवाई करते हुए दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ को 14 अक्टूबर 2024 को पत्र भेजकर इस मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया। इस पर दिल्ली जल बोर्ड ने कोई एक्शन नहीं लिया, जिसके बाद मुख्य सतर्कता अधिकारी की ओर से 6 नवम्बर 2024 को एक स्मरण पत्र भेजकर इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए जांच कर अपनी रिपोर्ट भेजने के लिए कहा गया। नेता प्रतिपक्ष ने जब मुख्य सतर्कता अधिकारी से इस मामले में स्टेटस पूछा तो उन्हें यह जानकारी दी गई कि अभी तक उन्हें इस संबंध में डीजीबी का कोई जवाब नहीं मिला है। इस पर दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ को एक और स्मरण पत्र भेजा जा रहा है।
गुप्ता ने हैरानी जताई कि लगभग दो महीने का वक्त बीत जाने के बावजूद सरकार इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है और विजिलेंस के जांच के आदेश पर चुप्पी साधे हुई है। इससे साफ जाहिर है कि सरकार अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। सरकार को न तो जांच एजेंसियों का डर है और न ही अपने भ्रष्टाचार के जगजाहिर होने का।
विजेंद्र गुप्ता ने केंद्रीय सतर्कता आयोग को दी अपनी शिकायत में दिल्ली सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि सरकार ने 2018 के बाद जान बूझकर दिल्ली जल बोर्ड की बैलेंस शीट नहीं बनवाई ताकि बोर्ड में किये भ्रष्टाचार की भनक किसी को न लगे। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के दखल के बाद सरकार ने पहले तीन साल की बैलेंस शीट तो बनवा ली लेकिन अगले दो साल यानी 2021-22 और 2022-23 की बैलेंस शीट को पेंडिंग कर दिया।
गुप्ता ने बताया कि दिल्ली के मुख्य सचिव ने अपनी यह रिपोर्ट 15 मार्च 2024 को दिल्ली के जल मंत्री को दी थी जिसमें दिल्ली जल बोर्ड पर 73000 करोड़ रुपये के कर्ज का पूरा खुलाया किया गया था। रिपोर्ट में बहुत सारे कारणों और वित्तीय अनियमितताओं की जानकारी दी गई थी, लेकिन अपनी कारगुजारियों को छिपाने के लिए मंत्री ने इसे अपने आफिस की अलमारी में ही दबाकर रख दिया और विधानसभा में प्रस्तुत नहीं किया। क्योंकि वो जानते थे कि यदि यह रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखी गई तो इसकी कॉपी विपक्षी सदस्यों को भी देनी पड़ेगी और हमारी वित्तीय गड़बड़ियों का खुलासा हो जाएगा।