नई दिल्ली। भारतीय चुनावी राजनीति के दौरान जिन बातों को चुनावी मंचों से कहा जाता है, उस पर जनता बहुत अधिक भरोसा नहीं करती है। चुनावी घोषणापत्रों पर वह यकीन नहीं करतीं। इस लिहाज से जब हम पश्चिम बंगाल की चुनावी राजनीति को देखें, तो कह सकते हैं कि यहां विकास कितना होगा, जनता को इस पर संदेह है। दस सालों तक सत्ता में रहीं तृणमूल कांग्रेस के पांच साल और अधिक मांगने पर जनता कैसे यकीन करें ? दस साल कम नहीं होता है। किसी भी सरकार के लिए, यदि वह काम करना चाहे तो। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कार्यकाल में जनता खासकर हिंदुओं का आरोप है कि वह तुष्टीकरण ही करतीं रहीं। चुनावी तारीखों के घोषणा के बाद वह मंदिरों में जाकर पूजा करने लगी। जनता सबकुछ देख और समझ रही है।
ममता बनर्जी पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप केवल जनता या भारतीय जनता पार्टी नहीं लगा रही। बल्कि कभी पश्चिम बंगाल की सत्ता में रहीं कांग्रेस भी लगा रही है। वामदल तो ममता बनर्जी को कोस ही रहे हैं, क्योंकि उन्हीं से सत्ता जबरन हासिल की थी ममता ने।
वहीं, जिस प्रकार से पूरी भाजपा मंत्रियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर राज्य विधानसभा चुनावों को जीतना चाहती है, उसके लिए पूरा रणनीति बना चुकी है, उसके बाद तो यही लगता है कि पश्चिम बंगाल में विकास हो न हो, लेकिन खेल पूरा होगा। जनता को ठगने को खेल। जनता को बरगाने का खेल। तभी तो बंगाल की राजनीति में कई चुनावी धुन इसी पर बजाए जा रहे हैं – खेला होबे।
इस बार के चुनाव में गजब का माहौल देखने को मिल रहा है। ममता बनर्जी का खेमा एक नया स्लोगन प्रमोशन करने में जुटा है। ‘खेला होबे’ यानी खेल होगा। आश्चर्य की बात तो ये है कि इस स्लोगन पर गाना भी बन गया है। इस गाने में शानदार धुन के साथ दमदार म्यूजिक का इस्तेमाल किया गया है। तृणमूल कांग्रेस के कई बड़े-बड़े नेता इस गाने और स्लोगन का जमकर प्रमोशन भी कर रहे हैं। खुद ममता बनर्जी इस स्लोगन का जोरो शोरों से प्रचार प्रसार कर रही हैं।
खेला होबे सिर्फ एक स्लोगन या फिर गीत नहीं है, बल्कि ये एक तीखा तंज है। इस तंज को तृणमूल कांग्रेस ब्रिगेड BJP को चिढ़ाने के लिए मौजूदा विधानसभा चुनाव के आगाज से पहले ही कर दिया था। 2019 के लोकसभा चुनाव की सफलता को विधानसभा में भी भुनाने की कोशिश कर रही भाजपा के राजनीति खेल को बिगाड़ने की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पुरजोर कोशिश कर रही है।
दीदी और उनकी पार्टी इस नारे के जरिए बताना चाहती है कि इस बार बंगाल में भाजपा के साथ बड़ा खेल होने वाला है, क्योंकि बीते लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा की उम्मीदें बढ़ गई हैं। भाजपा ने तो 200+ का टारगेट भी सेट कर लिया है। ऐसे में तृणमूल कांग्रेस ये कहना चाहती है कि कुछ खेल तो होगा।
तृणमूल कांग्रेस बड़े दावे के साथ कह रही है कि बंगाल में इस बार खेल होगा। ये खेल क्या है इसे शायद दीदी ही बेहतर समझती होंगी. लेकिन कहीं उनका ओवर कॉन्फिडेंस उनपर उल्टा ना पड़ जाए। खेल कहीं उल्टे तृणमूल कांग्रेस के साथ न हो जाए. क्योंकि खेल तो तब होता है, जब कोई बहुत बड़ा बदलाव होता है. एक-एक करके टीएमसी के कई सहयोगी उनका साथ छोड़ रहे हैं। जैस शुवेंदु अधिकारी, वैशाली डालमिया.. ऐसे सैकड़ों नेता और कार्यकर्ताओं ने दीदी का साथ छोड़ दिया। अमित शाह तो ये तक ह चुके हैं कि चुनाव खत्म होते-होते दीदी और उनके भतीजे अकेले रह जाएंगे।
तृणमूल कांग्रेस नेता देबांग्शु भट्टाचार्य ने जनवरी में मूल रूप से यह गीत लिखा था और यूट्यूब पर अपलोड किया था। तब से इस गीत में अनेक बदलाव देखे गये हैं। सबसे पहले पार्टी के बीरभूम के नेता अणुब्रत मंडल ने एक रैली में इसे नये बोल देते हुए ‘भयंकर खेला होबे’ लिखा। पश्चिम बंगाल सरकार के पूर्व मंत्री और इसी क्षेत्र से सत्तारूढ़ खेमे के उम्मीदवार मदन मित्रा ने भी ‘खेला होबे’ का अपना संस्करण बनाया है। वहीं घाटल से पार्टी के विधायक शंकर डोलई को एक रोडशो में इस गीत पर थिरकते हुए देखा गया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी रैलियों में मतदाताओं से सवाल करती हैं कि क्या वे खेला होबे के लिए तैयार हैं? जवाब में लोग तालियां बजाते हैं।
ऐसी ही एक जनसभा में बनर्जी ने कहा, ‘‘खेला होबे। अमी गोलकीपर। देखी के जेते (खेल चल रहा है। मैं गोलकीपर हूं। देखते हैं कि कौन जीतता है)।’’ बीजेपी नेताओं ने भी इस जुमले को अपने अंदाज में अपनाया है। कुछ दिन पहले ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में बनर्जी और उनकी पार्टी पर चुटकी लेते हुए ‘खेला होबे’ का जिक्र किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों यहां एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘खेला खतम। विकास शुरू।’’
बीजेपी प्रवक्ता शामिक भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘चुनाव की तुलना कभी खेल से नहीं की जा सकती। नारे में धमकी का तत्व छिपा हुआ है।’’ हालांकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष अपने विरोधियों को जवाब देने के लिए उनके इसी नारे का इस्तेमाल करने से संकोच नहीं कर रहे। उन्होंने कहा, ‘‘खेल शुरू होने दीजिए। राज्य की जनता बीजेपी के लिए वोट करेगी और तृणमूल कांग्रेस को कुशासन के लिए मुंहतोड़ जवाब देगी। बहुत जल्द परिवर्तन होगा।’’
देबांग्शु भट्टाचार्य के लिखे जुमले के बोल हैं, ‘‘बैरे ठेके बरगी ऐशे। नियम कोरे प्रति माशे। आमियो आची, तुमियो रोबे। बंधु एबर खेला होबे। (हर महीने बाहर से आये लुटेरे राज्य में आ रहे हैं, लेकिन हम उनका सामना करने को तैयार हैं। खेल चालू है)।’’