पटना। बिहार में राजनीतिक संकट शुरू हो गया है। आज और कल बिहार की राजनीति के लिए बेहद अहम है। भाजपा और जदयू में गतिरोध के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रधानमंत्री के नेतृत्व में होने वाली नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं। इसे बेहद गंभीरता से लिया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार सरकार चलाने में फ्री हैंड नहीं मिलने के अलावा नीतीश चिराग प्रकरण के बाद आरसीपी प्रकरण से भाजपा से खफा हैं। बीते कुछ महीने में नीतीश ने कई अहम बैठकों से दूरी बनाई है। कुछ महीने पूर्व नीतीश पीएम की कोरोना पर बुलाई गई बैठक से दूर रहे। हाल में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सम्मान में दिए गए भोज, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह से भी दूरी बनाई। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह की ओर से बुलाई गई मुख्यमंत्रियों की बैठक से दूरी बनाने के बाद अब नीति आयोग की बैठक से भी दूर रहे।
एक तरफ जहां जदयू के अंदर अंतर्कलह के बाद पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के उपर पार्टी ने प्रहार किया और आरसीपी सिंह को इस्तीफा देना पड़ा वहीं इसी बीच जदयू ने मंगलवार को पार्टी की अहम बैठक सीएम आवास में बुलाई है जिसमें पार्टी के सभी सांसद, विधायक हिस्सा लेंगे।
खबरें है कि नीतीश कुमार की सोनिया गांधी से फोन पर बात हुई है। राजद नेता लालू प्रसाद बेहद अहम किरदार माने जा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राजद ने अपने सभी विधायकों को निर्देशित किया है कि वो किसी भी हाल में 12 अगस्त तक पटना नहीं छोड़ें।
बताते चलें कि 12 अगस्त के बाद खरमास का प्रवेश हो जाएगा। उधर, जदयू और राजद ने बैठक बुलाई तो कयासों के बीच सियासी पंडितों के भी सिर इस बात को समझने में चकराये हुए लग रहे हैं कि आखिर प्रदेश की सियासत का उंट किस करवट बैठने वाला है।