नई दिल्ली। यह राजनीति भी अजीब शै है। ससुरी प्रचार में क्या क्या नहीं करवाती ! आजकल रोज़ नये से नये रोचक फोटो देखने को मिल रहे हैं! कसम से मज़ा सा आ जाता है ये फोटो देख कर! पहले आपको अभिनेत्री हेमामालिनी का पुराना फोटो दिखाया था न ! भूल गये क्या ? अरे वही, मथुरा में पिछले लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान महिलाओं के साथ गेहूं काटतीं हेमामालिनी ! अच्छा फिर वह भी याद होगा जो इनेलो की सुनयना चौटाला ट्रैक्टर चला कर डाबड़ा गांव पहुंचीं अभी दो दिन पहले ! चलो छोड़िये पुरानी तस्वीरें ! छोड़ो बात पुरानी !
अब नये फोटोज ध्यान से देखिये, हुज़ूर ! वो अपने हिसार के बेटे व कुरूक्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी हैं न नवीन जिंदल, वे पल्लेदार की तरह पीठ पर बोरियां लादते और उतारते दिखे! अरबपति उद्योगपति बोरियां लादे जैसे क्या कहूँ, कहूँ या न कहूँ पर छोड़ो यार ! क्या कहना ! अब इनकी आलोचना इनके विरोधी और आप पार्टी प्रत्याशी सुशील गुप्ता कर रहे हैं और खुद एक चाय की दुकान पर चाय छानकर दूसरों को चाय पिलाते दिखाई दे रहे हैं । ल्यो कर ल्यो बात! है न अजब चुनाव के गजब फोटू! बड़े मियां सो बड़े मियां, छोटे मियां सुभान अल्लाह! एक से बढ़कर एक !
वैसे एक और ट्रेंड कभी पूर्व प्रधानमंत्री व लौह महिला श्रीमती इंदिरा गाँधी ने चलाया था, जिस भी प्रदेश में चुनाव प्रचार पर जाती थीं, उसी प्रदेश का पहनावा और पहला वाक्य उसी प्रदेश की बोली में बोलती थीं ! अब देखिए जब पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आते हैं तो वे भी पगड़ी पहनकर सत् श्री अकाल से ही भाषण की शुरुआत करते हैं कि नहीं ? इस तरह वे पूर्वोत्तर राज्य में कभी ढोल पर थाप देते भी नज़र आते हैं। बाकी काम मीडिया मैनेजमेंट वाले संभालते हैं। नेता को तो पोज देना है, बस ।
ऐसे में जनता के मुद्दे गौण होते जा रहे हैं और चुनाव भी एक फिल्म जैसा प्रीमियर शो बन कर रह गये हैं । कोई बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, रसोई गैस सिलेंडर की बढ़ती कीमतों, अग्निवीर और पेपर लीक जैसे मुद्दों पर बात करेगा? नहीं ! कोई नहीं करेगा ! सब बैकग्राउंड में चले जायेंगे । बस, आप तो फैंसी ड्रैस प्रतियोगिता देखिये और भूल जाइये कि देश में क्या जरूरी है और क्या नहीं !
अकबर इलाहाबादी के शब्दों में :
क़ौम के ग़म में डिनर खाते हैं हुक्काम के साथ
रंज लीडर को बहुत है मगर आराम के साथ