महिलाओं पर अभद्र बोल क्यों?

हर चुनाव में नारी ही निशाशे पर‌ क्यों ?

नई दिल्ली। सबसे पहले एक बार पूर्व केंद्रीय मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव ने प्रसिद्ध अभिनेत्री और ड्रीम गर्ल के रूप में मशहूर हेमा मालिनी को लेकर कहा था कि हमारी बिहार की सड़कें हेमा मालिनी के गालों जैसी हैं । इससे भद्दे बोल‌‌ और क्या बोल सकते थे लालू जी ? अभी भाजपा ने चर्चित अभिनेत्री कंगना रानौत को मंडी(हिमाचल) से प्रत्याशी घोषित किया ही था कि कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत‌ ने कंगना की बोल्ड सी फोटो शेयर कर भद्दा मज़ाक उड़ाने की कोशिश की लेकिन दांव उल्टा पड़ गया । जब किरकिरी होने लगी तब पोस्ट हटा दी । फिर भी महिला आयोग का नोटिस आ गया और जगहंसाई हुई, सो अलग । यह बात भी कही गयी कि एक महिला कैसे दूसरी महिला पर ऐसी पोस्ट शेयर कर सकती है? वही न, नारी ही नारी की दुश्मन ठहरी । नारी के प्रति नारी की ही सोच नहीं बदली?
अब कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और इससे पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे रणदीप सुरजेवाला चर्चा में आ गये हैं, जिन्होंने फिर हेमामालिनी को लेकर कोई अभद्र टिप्पणी करने पर संकोच नहीं किया । जब मामला तूल पकड़ने लगा तब बोले हम तो हेमामालिनी जी का बहुत सम्मान करते हैं, क्योंकि वो धर्मेंद्र जी से ब्याह रखी हैं, बहू हैं हमारी । न मेरी मंशा हेमामालिनी के अपमान की थी और न ही किसी को आहत करने की ! फिर कैसे बोल‌ कुबोल बोल‌ गये?
आप चुनाव लड़िये, नारी का अपमान नहीं कीजिये। कंगना, हेमामालिनी फिल्मी अभिनेत्रियां होने के कारण निशाने पर क्यों ? क्या आप इनकी फिल्में इंजॉय नहीं करते ? चल धन्नो आज बसंती की इज्जत को खतरा है, डायलॉग भूल गये? कितने रोल हैं हेमामालिनी के, जो आज भी याद आते हैं। कंगना ने भी कुछ यादगार रोल किये, तो राजनीति में आने पर आलोचना क्यों ?
ज़रा संभल कर बोल कुबोल‌ बोलिये और लोकतंत्र को महापर्व ही रहने दो‌‌ !