बच्चे को दी जाने वाली हर आज़ादी के साथ माता-पिता का थोड़ा सख्त होना जरूरी

मुंबई। सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन के महाधारावाहिक पुण्यश्लोक अहिल्याबाई को अपनी रोचक कहानी के लिए हमेशा दर्शकों का अपार प्यार मिला है। इस शो में महान रानी अहिल्याबाई होल्कर की प्रेरणादायक कहानी दिखाई जा रही है, जिन्होंने अपनी बुद्धि से शांति और समृद्धि लाई। इस समय यह शो अहिल्या बाई के जीवन का एक दिलचस्प अध्याय – ‘मां से मातोश्री अध्याय’ प्रस्तुत कर रहा है, जिसमें उन्होंने ‘संस्कार देने वाली मां से ज़िंदगी देने वाली मातोश्री का सफर’ तय करके मालवा के भाग्य को हमेशा के लिए बदल दिया‌‌ था। इस शो में गौतमा बाई का प्रमुख किरदार निभाने वालीं अभिनेत्री श्रुति पंवार का माननाहै कि माता-पिता के लिए अपने बच्चों में सही समय पर निवेश करना जरूरी है।

गौतमा बाई का अपने बेटे खंडेराव के प्रति हमेशा एक नरम रुख रहा है और वो अपने जीवन में अहिल्या की उपस्थिति को लेकर असुरक्षित थीं, लेकिन अब चीजें अलग हैं। वो नहीं चाहतीं कि अहिल्या, मालेराव और मुक्ता बाई की भलाई के लिए उनके साथ नरमी बरतें। गौतमा बाई एक प्यारी दादी हैं लेकिन साथ ही साथ अपने पोते-पोतियों के साथ सख्त हैं, क्योंकि वो चाहती हैं कि वे अनुशासित और जिम्मेदार बनें। वो उन्हें गलत काम करने या गलत रास्ते पर जाने से बचाने के लिए उन पर कुछ पाबंदियां लगाने में यकीन रखती हैं।

इस बारे में अपने विचार ज़ाहिर करते हुए श्रुति कहती हैं, “ऐसी महान हस्ती के गौरवशाली जीवन को फिर से साकार करने का अवसर मिलना बड़ा सुखद एहसास है। इसमें सीखने और प्रेरणा लेने के लिए कितना कुछ है। यह कहानी दिखाती है कि गौतमा बाई अपने पोते-पोतियों के प्रति सख्त हैं, लेकिन साथ ही संतुलन भी बनाती हैं। मेरा माननाहै कि बच्चे को दी जाने वाली हर आजादी के साथ माता-पिता के लिए थोड़ा सख्त होना जरूरी है। थोड़ी-सी सख्ती उन्हें अच्छी चीजों के लिए प्रोत्साहित करने में काफी मदद कर सकती है। परवरिश में आपके बच्चों को अनुशासित करना और उनका मार्गदर्शन करना शामिल है, जो दुनिया में सबसे मुश्किल, लेकिन सबसे ज्यादा संतुष्टि देने वाले कार्यों में से एक है। माता-पिता अपने बच्चों के लिए भी दोस्त की तरह होते हैं… चीजें बांटना इसका अभिन्न हिस्सा होता है और मैं असल ज़िंदगी में एक पैरेंट होने के नाते ऐसा कह रही हूं।”