आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना हम सभी के लिए एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है, हालांकि, इसकी धारणा व्यक्तिपरक है और इसके अलग-अलग अर्थ हो सकते हैं, खासकर महिलाओं के लिए। कामकाजी महिलाओं के लिए आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने का मतलब यह हो सकता है कि वे स्वयं अपने वित्तीय निर्णय लें या स्वयं की कमाई और प्रबंधन से आत्मनिर्भर बनें। हालांकि, एक गृहिणी के लिए इसका अर्थ मौद्रिक स्वतंत्रता, आजादी और जब चाहें पैसा खर्च करने की क्षमता या आपात स्थिति में अपने खर्च खुद चला सकने की योग्यता हो सकती है। एसबीआई जनरल के अध्ययन से पता चलता है कि आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना महिलाओं के लिए शीर्ष तीन प्राथमिकताओं में से एक है।
दिलचस्प बात यह है कि महिलाएं भले ही वित्तीय स्वतंत्रता को बहुत ज्यादा महत्व देती हैं लेकिन ज्यादातर महिलाएं यह संकेत देती हैं कि वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने योग्य कमाई नहीं करती हैं और इसलिए सर्वेक्षण में यह पता चलना आश्चर्यजनक नहीं है कि लगभग 50% महिलाएं खुद को आर्थिक रूप से स्वतंत्र महसूस नहीं करती हैं। वित्तीय स्वतंत्रता की कमी टियर 2 शहरों और गैर-कामकाजी महिलाओं में ज्यादा स्पष्ट है।
इस अध्ययन के आधार पर, लगभग 33% महिलाएं “जीवनयापन की लागत” को आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए चुनौती या बाधा में से एक मानती हैं। दूसरी ओर, प्रत्येक 4 में से 1 महिला सामाजिक/पारिवारिक प्रतिबंध या घर से मार्गदर्शन की कमी को एक बाधा बताती है।
यह उत्साहवर्धक है कि, इस सर्वेक्षण में लगभग 53% महिलाओं ने आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने के लिए बचत और निवेश करने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। हालांकि, केवल 38% महिलाओं ने दावा किया है कि आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए उन्होंने खुद का बीमा कराने का कदम उठाया है।
इस सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारी पर अपनी बात रखते हुए, एसबीआई जनरल इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ पीसी कांडपाल ने कहा, “आज भारत में ज्यादातर महिलाएं आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सुरक्षित होने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। हालांकि, इस अध्ययन से पता चलता है कि ज्यादातर महिलाएं अभी भी विशेष रूप से निवेश और बीमा जैसे वित्तीय मामलों में आत्मनिर्भर नहीं हैं। वास्तव में, हमारा अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि महिलाएं भले ही आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने का प्रयास करती हैं, पर एक तिहाई महिलाओं को निवेश और बीमा के बारे में पर्याप्त जानकारी तथा ज्ञान की कमी है। यह उन्हें निवेश से दूर रखने वाला एक प्रमुख घटक माना जाता है।”
“केवल 38% महिलाओं ने दावा किया है कि आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए उन्होंने खुद का बीमा कराया है जो आम महिलाओं में बीमा को लेकर जागरूकता और उसकी पहुंच का स्तर कम होने का संकेत है। इसलिए महिलाओं को आवश्यक जानकारी से लैस करने की आवश्यकता है ताकि वे अपने रुपये पैसों के संबंध में जानकार निर्णय ले सकें । हमारे प्रयास इसी आधार पर केंद्रित हैं, और हम ऐसी पहल करना जारी रखेंगे जो महिलाओं के लिए वित्तीय स्वतंत्रता को मुख्यधारा में जो सब हो रहा है उसका हिस्सा बनाती हैं ।”