पटना। बिहार के कई जिलों में हाल के दिनों में जहरीली शराब से मौत हुई है। दर्जनों लोग मरे हैं। राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शासन व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि नीतीश सरकार राज्य में पूर्ण शराबबंदी की बात करती है। कागजों में भले ही शराबबंदी हो, लेकिन छापेमारी में समय-समय पर शराब पकड़े जाने की खबर आती है।
सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि लोग ग़ैरकानूनी ढंग से जो काम करते है ये उसका परिणाम है। एक बैठक हमने कर ली है, 16 नवंबर को ज़िलास्तर पर समीक्षा बैठक की जाएगी। कई जगहों पर लोगों को पकड़ लिया जाता है लेकिन कुछ जगहों पर ये नहीं हो पाता है। जितनी संभव कार्रवाई होगी वो की जाएगी।
बता दें कि समस्तीपुर जिले के शाहपुर पटोरी में जहरीली शराब का कहर थमने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है। सोमवार को शराब पीने से बीमार पांच और लोगों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया। इसमें से एक का पटोरी अस्पताल में, एक का हाजीपुर में और तीन का पटना में इलाज कराया जा रहा है। राज्य के कई जिलों में शराब कारोबारियों के खिलाफ पुलिस के कड़े तेवर देखने को मिल रहे हैं। कई जिलों में अभियान चलाकर पुलिस लगातार भट्ठियों को नष्ट कर रही है।
वहीं, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का कहना है कि हर ज़हरीली शराब कांड से होने वाली मृत्यु को शराबबंदी लागू करने में पूरी तरह विफल बिहार सरकार के संरक्षण और स्वीकृति से किया गया संस्थागत हत्या ही माना जाना चाहिए! क्योंकि सरकारी सहयोग और समर्थन के बिना किसी शराब माफिया का अवैध व्यापार कहीं फल फूल नहीं सकता! चंद चुनिंदा अधिकारियों के चश्मे से ही बिहार के हर हालात और घटना को देखने वाले मुख्यमंत्री माननीय श्री नीतीश कुमार क्या इन ज्वलंत सवालों के जवाब दे पाएँगे?
क्या यह सच्चाई नहीं है कि थानों से शराब की बिक्री हो रही है और कमीशन सरकार तक नहीं पहुँच रहा? क्या यह यथार्थ नहीं है कि शराबबंदी के नाम पर मुख्यमंत्री द्वारा की गयी हज़ारों समीक्षा बैठकों का अभी तक का परिणाम शून्य ही नहीं बल्कि तस्करों को प्रोत्साहित करने वाला ही साबित हुआ है?
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) November 6, 2021