नई दिल्ली। जिस प्रकार से केंद्र सरकार के तमाम मंत्री पश्चिम बंगाल पर अधिक ध्यान दे रहे हैं, उससे वहां की राजनीतिक तपिश का अंदाजा लगता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी पश्चिम बंगाल का दौरा करते हैं, अथवा वहां के किसी कार्यक्रम को संबोधित करते हैं, तो बंगाल की विरासत को भारतीय संस्कृति से जोडकर कोई न कोइ नई बात कहते हैं। सियासी गलियारों में इसके कई मायने निकाले जाते हैं।
शुक्रवार को विश्व भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आप सिर्फ एक विश्वविद्यालय का ही हिस्सा नहीं हैं, बल्कि एक जीवंत परंपरा का हिस्सा भी हैं। गुरुदेव अगर विश्व भारती को सिर्फ एक यूनिवर्सिटी के रूप में देखना चाहते, तो वो इसे ग्लोबल यूनिवर्सिटी या कोई और नाम दे सकते थे, लेकिन उन्होंने इसे विश्व भारती विश्वविद्यालय नाम दिया। गुरुदेव की विश्व भारती से अपेक्षा थी कि यहां जो सिखने आएगा वो पूरी दुनिया को भारत और भारतीयता की दृष्टि से देखेगा। गुरुदेव का ये मॉडल भ्रम, त्याग और आनंद के मूल्यों से प्रेरित था इसलिए उन्होंने विश्व भारती को सिखने का ऐसा स्थान बनाया जो भारत की समृद्ध धरोहर को आत्मसात करे।
Addressing the Visva-Bharati. Watch. https://t.co/HDxyZLMVc7
— Narendra Modi (@narendramodi) February 19, 2021
उन्होंने कहा कि गुरुदेव टैगोर के लिए विश्व भारती सिर्फ ज्ञान देने वाली एक संस्था मात्र नहीं थी। ये एक प्रयास है भारतीय संस्कृति के शीर्षस्थ लक्ष्य तक पहुंचने का। जिसे हम कहते हैं स्वयं को प्राप्त करना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विश्व भारती तो अपने आप में ज्ञान का वो उन्मुक्त समंदर है, जिसकी नींव ही अनुभव आधारित शिक्षा के लिए रखी गयी थी। ज्ञान की रचनात्मकता की कोई सीमा नहीं होती है, इसी सोच के साथ गुरुदेव ने इस महान विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विश्व भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हिस्सा ले रहे हैं। इस समारोह में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी मौजूद हैं।