बाजारवाद के इस दौर में कोई भी रिश्ता ठोस बनाने में वक्त लगता है, लेकिन टूटने में क्षण भर ही पर्याप्त है। आपसी बातचीत में लोग ये कहते सुने जाएंगे कि यदि संबंध को खत्म करना हो, तो बीच में पैसा रख दो। ऐसे में रिश्तों के दरमियां आतीं दूरियां रिश्तों का ताना-बाना बिखेर देती हैं। फिर चाहे रिश्ता पति-पत्नी का हो या भाई-भाई का या सास-बहु का या कोई भी। आप लोगों की भावनाओं को समझते हैं, रिश्तों को बचाने में जब आपको महारथ हासिल हो जाती है, तो आपके लिए कमाई का रास्ता भी खुलता है। क्योंकि, रिलेशनशिप थेरेपिस्ट एक बेहतर करियर विकल्प है।
रिलेशनशिप थेरेपिस्ट कहें या मैरेज काउंसलर या कपल थेरेपिस्ट। नाम कई, पर काम एक है जोड़ने का। इसकी जरूरत के दो प्रमुख कारण हैं। एक आज का एकल परिवेश, जहां दादी-नानी नदारद हैं और दूसरा भागमभाग भरी जिंदगी में करीबियों के साथ जाने-अनजाने किसी न किसी बात पर कहा-सुनी हो जाती है। यदि इसे संभाला नहीं जाए तो संबंध विच्छेद स्वाभाविक है। ऐसे में जरूरत पड़ती है रिलेशनशिप थेरेपिस्ट की। टेक्नोलाॅजी ने जहां कई प्रकार की सहूलियतें दी हैं, वहीं इससे मानवीय संवेदना भी छीज रही हैं। फेसबुक जैसे सोशल साइट्स पर बेशक हमारे मित्रों की संख्या हजारों में हो, लेकिन जरूरत पड़ने पर खोजें तो बमुश्किल चंद लोग मिलेंगे।
प्रोफेशनल डिमांड
आप रिलेशनशिप थेरेपिस्ट बनना चाह रहे हैं, तो बता दें कि लाइसेंस मेंटल हेल्थ प्रोफशनल ही रिलेशनशिप, फैमिली व कपल काउंसलिंग करता है। यह साइकोथेरेपी के भिन्न है, जिसमें कम समय में काउंसलिंग के जरिए रिश्तों में आई खींचातनी को जल्द सुलझा दिया जाता है। लाइसेंस लेने के बाद आप दरकते रिश्तों वाले पति-पत्नी व परिवारों को प्राइवेट प्रेक्टिस, मेंटल हेल्थ क्लीनिक, रिहैब सेंटर, नाॅन प्रोफिट कम्यूनिटी सर्विस एजेंसी या अस्पताल के तहत काउंसलिंग कर सकते हैं।
ऐसा अनिवार्य नहीं कि रिलेशनशिप थेरेपिस्ट के लिए साइकोलाॅजी की पढ़ाई की हो। किसी भी विषय व किसी भी यूनिवर्सिटि से गे्रजुऐशन करने के बाद लाइसेंस एग्जाम में पास होना अनिवार्य होता है। इसके बिना आप प्रोफशनल रिलेशनशिप थेरेपिस्ट नहीं बन सकते। यदि गे्रजुएशन में साइकोलाॅजी की पढ़ाई की है, तो यह रिश्तों को समझना आसन कर देती है। यूं कहें कि यह फायदमेंद साबित होती है। रिलेशनशिप मेंटल हेल्थ के लाइसेंस के लिए कम्पयूटर बेस्ड मल्टिपल च्वाइस या लिखित परीक्षा देनी होती है।
भारत में है नया स्कोप
डाॅक्टर, इंजीनियर, टीचर जैसे कई पारंपरिक करियर आॅप्शन की तरह रिलेशनशिप थेरेपिस्ट पश्चिम देशों में लोकप्रिय है। लेकिन भारत में इसे पूरी तरह से पारंपरिक करियर आॅप्शन समझने में समय लगेगा। भारत में दस साल पहले किसी ने सोचा भी नहीं होगा साइकोलोजिकल काउंसलर या मैरिज कांउसलर बनने का। इसे साइकोलोजिस्ट की डयूटी समझी जाती थी। लेकिन विभिन्न क्षेत्रों में होती प्रगति ने सोच को बदला है। उम्मीद की जाती है कि 2020 तक 36.3 फीसदी की मजबूत पहचान बना लेगा।
फुल टाइम करियर
आप इसे फुल टाइम प्रोफेशन के रूप में अपनाकर अच्छी आमदनी कर सकते हैं। इस जाॅब प्रोफाइल में शुमार है बिखरते रिश्तों को जोड़ना, नई गृहस्थी में बसने से पहले रिश्तों को समझाना और टूटते परिवारों को बचना। मानसिक अवसाद जिस प्रकार से समाज में बढ़ा है। आपसी संबंधों में दरार बढती जा रही है, तो ऐसे में रिश्तों को संवारने और सहेजने के तरीकों को बताने वाले की काफी जरूरत है। आने वाले समय में इसकी जरूरत काफी है।
बेहतर कमाई
रिलेशनशिप थेेरेपिस्ट का लाइसेंस लेने के बाद आप प्राइवेट क्लीनिक खोल सकते हैं। या सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं जहां परिवारों के कलह को सुलझाया जाता वहां नौकरी कर सकते हैं। नौकरी में आप 20 से 30 हजार रुपए कमा सकते हैं। प्राइवेट पैक्टिस के जरिए 1 लाख महीना भी कमा सकते हैं।
उम्दा कम्यूनिकेशन स्किल आपकी कमाई में जल्द से जल्द इजाफा कर सकता है। या दूसरे शब्दों में कहें तो बातचीत की कला, दूसरों को सुनने की कला, दूसरों को समझाने की कला आपकी तरक्की की राहें असान कर देती हैं।