COVID19 in India : एक्सपर्ट ने कहा, आपका व्यवहार ही बचाएगा आपके बच्चों को कोरोना के कहर से

बच्चों में भी लांग कोविड के मामले देखे जाते हैं, जिसमें संक्रमण से ठीक होने के तीन से छह महीने बाद डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी नई बीमारी देखी जाती है। माता पिता को गंभीर कोविड संक्रमण से ठीक हुए बच्चों का इलाज करने वाले चिकित्सक से लगातार संपर्क में रहना चाहिए।

नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर को देशवासियों ने देखा और भुगता है। अब तीसरी लहर की आशंका मात्र से लोग सिहर उठते हैं। हर कोई इस बात को लेकर परेशान है कि कोरोना की तीसरी लहर में क्या होगा ? वो अपने बच्चों को कैसे बचाएंगे ? क्या उनका बच्चा सुरक्षित रह पाएगा ? जानकार कहते हैं कि जब तक बच्चों के लिए वैक्सीन नहीं आती है, तब तक घर परिवार में कोरेाना उपयुक्त व्यवहार की आपको इससे रक्षा करेगा। सरकार की ओर से जारी स्वास्थ्य दिशा-निर्देशों का पालन करें और सुरक्षित रहें।

गैस्ट्रो इंटेलॉजिस्ट और आईसीएमआर की टास्क फोर्स कमेटी नेगवैक (नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोविड19) के डॉ. एन. के. अरोड़ा ने कहा कि सीरो सर्वेक्षण में भी यह पाया गया कि 25 प्रतिशत बच्चे कोविड19 से प्रभावित पाए गए, यहां तक की दस साल से कम उम्र के बच्चों में भी अन्य उम्र के लोगों की तरह ही कोविड संक्रमण देखा गया। बीमारी के संदर्भ में राष्ट्रीय आंकड़े बताते हैं कि कोविड की पहली लहर में तीन से चार प्रतिशत बच्चे कोविड संक्रमित हुए, जबकि दूसरी लहर में भी बच्चों के संक्रमित होने की दर लगभर पहले जैसी ही है। हालांकि दूसरी लहर में बच्चों के संक्रमित होने के कुल मामलों में बढ़ोतरी देखी गई, पहले के अपेक्षा इस बार बच्चों में कोरोना का संक्रमण अधिक देखा गया है।

एक सवाल के जवाब में डॉ. एन. के. अरोड़ा ने कहा कि कोविड संक्रमण होने के बाद अधिकतर बच्चों में संक्रमण के या तो हल्के लक्षण देखे जाते हैं या फिर वह ए सिम्पमेटिक होते हैं। यदि किसी एक परिवार में एक या इससे अधिक सदस्य कोविड पॉजिटिव पाए जाते हैं, तो बच्चों के भी कोविड संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है। अच्छी बात यह है कि इस तरह के मामलों में संक्रमित बच्चों की उम्र दस साल की उम्र से कम देखी गई और उनमें कोविड के बहुत हल्के या ए सिम्पमेटिक लक्षण जैसे साधारण जुखाम और डायरिया पाया गया। दिल की गंभीर बीमारी, डायबिटिज, अस्थमा और ऐसे बच्चे जो कैंसर या इम्यून सप्रेसेंट बीमारी से ग्रसित हैं उनके संक्रमण की गंभीर स्थिति होने का खतरा अधिक देखा गया। कोविड संक्रमण के जोखिम वाले बच्चों का माता पिता को अधिक ध्यान देना चाहिए, क्योंकि बड़ी संख्या में संक्रमण बड़ों को अपनी चपेट में ले रहा है, इसलिए कोरोना संक्रमण से प्रभावित होने वाले बच्चों की संख्या में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई।

डॉ. एन. के. अरोड़ा ने कहा कि यदि बच्चों को सांस लेने में दिक्कत, गंभीर खांसी जिसकी वजह से बच्चा दूध नहीं पी पा रहा हो, हाइपोक्सिया या फिर तेज बुखार, त्वचा पर लाल चकत्ते, अधिक देर तक सोना या फिर अन्य कोई असामान्य लक्षण दिखाई देने पर तुरंत किसी चिकित्सक से संपर्क करें। बच्चों में भी लांग कोविड के मामले देखे जाते हैं, जिसमें संक्रमण से ठीक होने के तीन से छह महीने बाद डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी नई बीमारी देखी जाती है। माता पिता को गंभीर कोविड संक्रमण से ठीक हुए बच्चों का इलाज करने वाले चिकित्सक से लगातार संपर्क में रहना चाहिए।