पितृपक्ष में एक पेड़ लगाएं अपने पूर्वजों के नाम

 

डॉ धनंजय गिरि

हमारी संस्कृति व अस्तित्व हमारे पूर्वजों के कारण है। पितृ पक्ष देवतुल्य पुरखों की आराधना का अवसर है। श्राद्ध पक्ष में हम अपने पूर्वजों के दिन उनका श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हुए उनकी स्मृति में एक पौधा अवश्य लगाएं।

हमारी संस्कृति और अस्तित्व हमारे पूर्वजों के आशीर्वाद और उनकी दी गई अमूल्य धरोहर से जुड़ा है। यह हमारी सभ्यता का एक अभिन्न अंग है कि हम अपने पुरखों का न केवल आदर करें, बल्कि उन्हें देवताओं के समान पूजनीय मानें। पितृ पक्ष का समय इसी आदर और श्रद्धा को प्रकट करने का अवसर होता है, जब हम अपने पूर्वजों का स्मरण करते हैं और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।

श्राद्ध पक्ष, जिसे पितृ पक्ष के नाम से भी जाना जाता है, हमें यह अवसर प्रदान करता है कि हम अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें। इस समय हम अपने परिवार और समाज के मूल्यों का स्मरण करते हैं, जिन्हें हमारे पूर्वजों ने जीवन में अपनाया था और आगे की पीढ़ियों को सौंपा। यह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि पूर्वजों के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है, जो यह दर्शाता है कि हम उनके योगदान को भुलाए नहीं हैं और उनके दिखाए मार्ग का अनुसरण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

आज जब पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा हमारे जीवन का एक अनिवार्य मुद्दा बन गया है, पितृ पक्ष को पौधारोपण के साथ जोड़ना एक अत्यंत महत्वपूर्ण और सराहनीय पहल हो सकती है। पूर्वजों की स्मृति में एक पौधा लगाना न केवल उनकी श्रद्धांजलि होगी, बल्कि यह प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी और हमारे भविष्य के प्रति हमारी सोच को भी दर्शाता है। हमारे पूर्वजों ने जिस धरती को हमें सौंपा, उसे हरा-भरा और समृद्ध बनाए रखने की जिम्मेदारी हमारी है।

पौधारोपण एक छोटा सा प्रयास दिख सकता है, लेकिन इसका प्रभाव बहुत व्यापक होता है। यह आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ वायु, शुद्ध जल और स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। एक पौधा लगाने से हम न केवल अपने पूर्वजों का सम्मान करते हैं, बल्कि प्रकृति के प्रति अपनी श्रद्धा और कृतज्ञता भी व्यक्त करते हैं।

इसलिए, इस पितृ पक्ष, जब हम अपने पूर्वजों का स्मरण करें, तो उनकी स्मृति में एक पौधा अवश्य लगाएं। यह पौधा न केवल उनके प्रति हमारी श्रद्धा का प्रतीक बनेगा, बल्कि धरती माँ को भी संरक्षित रखने का हमारा संकल्प होगा।


(लेखक संघ व भाजपा से जुड़े हुए हैं।)