साई परांजपे: दूरदर्शन से ‘चश्मे बद्दूर’ तक का सफर, फिल्मफेयर के साथ साझा किए अनुभव

नई दिल्ली। प्रसिद्ध फिल्मकार साई परांजपे ने ‘इन द रिंग विद फिल्मफेयर’ के एक खास एपिसोड में अपनी रचनात्मक यात्रा और सिनेमा में एक महिला के रूप में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि उन्होंने आठ वर्ष की उम्र में अपनी पहली किताब लिखी थी। आज वे चार राष्ट्रीय पुरस्कार और पद्म भूषण से सम्मानित भारत की प्रतिष्ठित निर्देशकों में से एक हैं।

साई परांजपे ने ‘स्पर्श’, ‘कथा’ और ‘चश्मे बद्दूर’ जैसी कालजयी फिल्मों के निर्देशन के अलावा रंगमंच और टीवी में भी बेहतरीन योगदान दिया है। उन्होंने बताया कि दूरदर्शन में प्रोड्यूसर के रूप में काम करने के दौरान ही उन्होंने ‘स्पर्श’ जैसी फिल्म बनाई। उन्होंने इस इंटरव्यू में संजीव कुमार, शबाना आज़मी और नाना पाटेकर के साथ अपने अनुभवों के भी कई दिलचस्प किस्से सुनाए।

जब उनसे पूछा गया कि वे अपने छोटे रूप को क्या सलाह देना चाहेंगी, तो मुस्कराते हुए बोलीं, “बस इतना कहूंगी — लगे रहो, साई। अगर रुकावटें आएं, तो उन्हें पार कर लो। अंत में तुम मंज़िल तक ज़रूर पहुँचोगी।”