देश में थैलेसीमिया के 4,361 रोगी पंजीकृत, 12 वर्ष से कम आयु के 2,579 बच्चे शामिल: अनुप्रिया पटेल

 

नई दिल्ली। देश में थैलेसीमिया के रोगियों की संख्या लगातार चिंताजनक बनी हुई है। सिकल सेल पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2025 तक भारत में कुल 4,361 थैलेसीमिया रोगी पंजीकृत किए गए हैं, जिनमें 2,579 रोगी 12 वर्ष से कम आयु के बच्चे हैं।

यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 में सिकल सेल पोर्टल में एक समर्पित थैलेसीमिया मॉड्यूल को एकीकृत किया गया था ताकि देश भर में राज्यों द्वारा मौजूदा थैलेसीमिया रोगियों का रिकॉर्ड दर्ज किया जा सके।

राष्ट्रीय पोर्टल के माध्यम से नियमित निगरानी, अनुवर्ती कार्रवाई और स्क्रीनिंग की व्यवस्था की जा रही है, जिससे थैलेसीमिया पीड़ितों की देखभाल और पहचान के प्रयासों को गति मिल रही है।

मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि थैलेसीमिया की रोकथाम और प्रबंधन की प्राथमिक जिम्मेदारी संबंधित राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारों की है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अंतर्गत राज्यों को सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत करने के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता दी जा रही है। इसमें ब्लड बैंक, डे केयर सेंटर, दवाएं, प्रयोगशाला सेवाएं, आईईसी गतिविधियां और मानव संसाधन प्रशिक्षण जैसी सेवाएं शामिल हैं।

थैलेसीमिया रोगियों की सहायता के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) के सहयोग से थैलेसीमिया बाल सेवा योजना (TBSY) लागू की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत CIL की कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) निधि से पात्र रोगियों को बोन मैरो ट्रांसप्लांट (BMT) के लिए 10 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाती है। देशभर में फैले 17 सूचीबद्ध अस्पतालों में इस योजना के तहत BMT की सुविधा उपलब्ध है।

सरकार का उद्देश्य थैलेसीमिया जैसी आनुवंशिक बीमारियों के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाना, समय रहते पहचान सुनिश्चित करना और उपचार के आधुनिक साधन उपलब्ध कराना है, ताकि आने वाले वर्षों में इस बीमारी की रोकथाम और नियंत्रण की दिशा में ठोस प्रगति हो सके।