नई दिल्ली। मंगलवार को जब केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त किया गया है, तो इसको लेकर कई तरह के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि मंत्रिमंडल में अधिक उम्र के मंत्रियों की छुट्टी की जा सकती है। ताकि युवाओं को अधिक प्रतिनिधित्व दिया जा सके। चर्चा है कि थावरचंद गहलोत के बाद केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार को भी मंत्रिमंडल से बाहर किया जा सकता है।
यह निर्णय अचानक नहीं लिया गया है। असल में, 30 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुइ थी। सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में स्वयं प्रधानमंत्री ने मंत्रिमंडल के सहयोगियों से पूछा था कि किन किन लोगों को बढती उम्र या अन्य कारणों से मंत्रिमंडल से छुट्टी दी जा सकती है ? बताया जाता है कि इस बैठक में केवल थावरचंद गहलोत ने अपने स्वास्थ्य कारणों से मंत्रिमंडल से हटाने की बात कही थी।
चर्चा है कि उस बैठक में भले ही केंद्रीय श्रम एवं नियोजन मंत्री संतोष गंगवार ने अपनी बात सार्वजनिक रूप से नहीं की थी, लेकिन बाद में उन्होंने व्यक्तिगत रूप से इसकी जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचा दी है। इसके बाद से ही यह चर्चा है कि संतोष गंगवार को भी विश्राम करने की सलाह दी जाएगी।
लुटियंस जोन में चर्चा तो यह भी है कि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर के कार्यों से संगठन के कई लोग संतुष्ट नहीं हैं। उनके पास कई अहम मंत्रालय हैं। इसलिए उनके विभागों को कम किया जाएगा। जिस प्रकार से कई संभावित मंत्रियों को दिल्ली और इसके आसपास रहने की सूचना दी गई है, उससे तो यही लगता है कि मंत्रिमंडल विस्तार कभी भी हो सकता है।