किसान नेताओं ने किया ऐलान, 26 जुलाई और 9 अगस्त को चलेगी महिला संसद

भाजपा सरकार ने संसद में कहा कि न तो उसने काले कृषि कानूनों पर किसानों की मंशा जानने की कोई कोशिश की और न ही उसके पास शहीद किसानों का कोई आंकड़ा है।

नई दिल्ली। किसान कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध जारी है। संसद का मानसून सत्र चल रहा है। वहीं, किसान नेता जंतर-मंतर पर अपनी संसद चला रहे हैं। इसे किसान संसद का नाम दिया गया है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि कल और 9 अगस्त को महिला संसद चलेगी। 200 महिलाएं कल किसान संसद चलाएंगी। “भारत की आत्मा को बचाओ और सभी जुट जाओ” किसान बचेगा, तभी भारत की आत्मा और आजादी बचेगी” ।

असल में,सरकार के पास भले ही किसानों की मौत का कोई रिकॉर्ड नहीं है, लेकिन जनता के पास इन लोगों की बेशर्मी के सारे रिकॉर्ड मौजूद हैं।

राकेश टिकैत ने कहा है कि किसान संसद से किसानों ने गूंगी -बहरी सरकार को जगाने का काम किया है। किसान संसद चलाना भी जानता है और अनदेखी करने वालों को गांव में सबक सिखाना भी जानता है। भुलावे में कोई न रहे ।

कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि मनमोहन सिंह जी के नेतृत्व में शुरू हुई आर्थिक विकास और उदारीकरण की यात्रा पर मोदी सरकार के दौरान घना अंधेरा छा गया है। आज सरकार सार्वजनिक संपत्ति को बेचकर सिर्फ और सिर्फ अपनी जेब भरने में लगी हुई है, जनता के हित बहुत पीछे छूट चुके हैं।हमारे देश में आवाज उठाना, प्रदर्शन करना और अपनी माँगों के लिए आंदोलन करना संवैधानिक अधिकार है। लेकिन भाजपा हमारे देश के संविधान को कुचल रही है, संवैधानिक अधिकारों को कुचल रही है। देश की जनता भाजपा के अहंकार को चकनाचूर करने के लिए तैयार है।