पटना। हर साल की तरह इस साल भी बिहार में बाढ़ के कारण लोगों की परेशानी बढ़ी हुई है। हर साल की तरह सरकारी प्रयासों की बात हो रही है। मुख्यमंत्री सहित मंत्री और अधिकारी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। राहत एवं बचाव कार्य की बात हो रही हैं। बावजूद लोग परेशान हैं, क्योंकि इस समस्या का स्थायी समाधान सरकार उनके लिए नहीं लेकर आती है।
गंडक नदी के पानी और ऊपरी इलाकों में लगातार बारिश होने की वजह से राज्य के कई इलाकों में गंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। नदियों में बढ़ते जलस्तर के कारण चंपारण व मिथिलांचल के कई गांवों में बाढ़ का संकट खड़ा हो गया। बगहा में गंडक का उफान जारी रहने से दो सौ से अधिक घरों में पानी घुस गया है। पूर्वी चंपारण के आधा दर्जन प्रखंडों की 70 हजार की आबादी प्रभावित हो गई है।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया एवं कटिहार जिले के बरारी प्रखंड में बाढ़ राहत शिविर का निरीक्षण कर आवश्यक निर्देश दिया। https://t.co/ZKy7IcyMbU pic.twitter.com/DVKWQkzxhZ
— Nitish Kumar (@NitishKumar) August 18, 2021
केंद्रीय जल आयोग गांधीघाट पटना के निदेशक संजीव कुमार सुमन का कहना है कि गंगा गांधीघाट में खतरे के निशान से नीचे है, कल इसे पार कर सकती है। हाथीदह, कहलगांव और भागलपुर में खतरे के निशान से ऊपर है। जलस्तर और बढ़ सकता है। गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती और घाघरा कई जगहों पर खतरे के निशान से ऊपर हैं।
सारण में डबरा नदी का बांध टूटने से दर्जनभर गांव जलमग्न हो गए हैं। उत्तर बिहार में बाढ़ से सवा लाख आबादी प्रभावित हुई है। सीतामढ़ी और शिवहर में एनएच 104 पर कई जगह बागमती का पानी चढ़ गया है। मुजफ्फरपुर में बागमती, गंडक व बूढ़ी गंडक नदियों में पानी चढ़ गया है। सुपौल में कोसी में पानी का डिस्चार्ज सामान्य है लेकिन नेपाल से आने वाली तिलयुगा और खड़क नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया है।