नई दिल्ली। मुख्य द्वार चार भुजाओं की चौखट वाला होना अनिवार्य है। इसे दहलीज भी कहते हैं। यह भवन में निवास करने वाले सदस्यों में शुभ व उत्तम संस्कार का संरक्षक व पोषक है। पुरानी मान्यता के अनुसार ऐसे भवन जिनमे चौखट या दहलीज न हो उसे बड़ा अशुभ संकेत मानते थे। मान्यता है कि मां लक्ष्मी ऐसे घर में प्रवेश ही नहीं करती, जहां प्रवेश द्वार पर चौखट न हो और ऐसे घर के सदस्य संस्कारहीन हो जाते हैं। इसकी दूसरी अनिवार्यता यह है कि इससे भवन में गंदगी भी कम प्रवेश कर पाती है तथा नकारात्मक ऊर्जाओं या किसी शत्रु द्वारा किया गया कोई भी नीच कर्म भी भवन में प्रवेश नहीं कर पाता। चौखट अथवा दहलीज पुरातनकाल से ही हमारे संस्कार व जीवनशैली का एक प्रमुख अंग रही है।
मेन गेट है सफलता का पैमाना
मुख्य द्वार के सामने कुआं, चौराहा, तालाब, गटर, दूसरे के मकान का कोना या सीढ़ियां, बड़ा वृक्ष या स्तम्भ अच्छा नहीं होता। द्वार के सामने गाय, बकरी या कोई जानवर बांधना भी अच्छा नहीं होता। वहां कोई खूंटा न गाड़ें। मुख्यद्वार के सामने यदि बड़ा वृक्ष हो, जिसकी छाया मकान पर प्रातः 9 बजे से 3 बजे तक पड़ती हो, तो भी अच्छा नहीं होता। मंदिर या मंदिर के ध्वज की छाया भी ठीक नहीं मानी जाती।
पॉजिटिव एनर्जी का स्त्रोत हो
मकान के चारों तरफ वास्तु के सिद्धांत के अनुपात में खुली जगह छोडने का तात्पर्य भी यही है कि दरवाजों के माध्यम से इन ऊर्जा-शक्तियों का मकान में निर्विघ्न प्रवेश हो सके। आमने-सामने दो दरवाजे ही रखने से अभिप्राय यह है कि आमने-सामने दो से ज्यादा दरवाजे होने पर मकान में प्रवेश होने वाली सकारात्मक ऊर्जा-शक्ति में न्यूनता आती है।
ध्यान देने योग्य बातें
- मुख्य द्वार को कलश, नारियल, पुष्प, अशोक व केले के पत्र से या स्वस्तिक आदि से सुसज्जित रखने का प्रयास करें, जिससे यह अन्य द्वारों से भिन्न व विशेष दिखे।
- प्रमुख प्रवेश द्वार अत्यंत सुशोभित होना चाहिए, इससे प्रतिष्ठा बढ़ती है।
- प्रमुख द्वार अन्य दरवाजों से ऊंचा और बड़ा होना चाहिए।
- द्वार जंहा तक हो अंदर की ओर ही खुलने चाहिए, बाहर खुलने से हर कार्य में बाधा आती है।
- मुख्य द्वार के ठीक सामने किसी भी तरह का कोई खम्भा न हो।
- मुख्य द्वार के संबंध में वास्तु शास्त्र के विद्वानों के विभिन्न मत हैं, किंतु व्यावहारिक दृष्टि से मुख्य द्वार ऐसे स्थान पर रखा जाना चाहिए, जहां से पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सके व परिवार के लिए सुविधाजनक हो।
- घर का प्रवेश द्वार सूना होने पर सुख-समृद्घि में कमी आती है।
- अगर प्रवेश द्वार के सामने की दीवार भी खाली हो तो उस पर गणेश जी की नृत्य करती हुई तस्वीर लगाएं।
- मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर अपने सामर्थ्य के अनुसार रंगोली बनाना या बनवाना शुभ होता है जो मां लक्ष्मी को आकृष्ट करता है व नकारात्मक ऊर्जाओं के प्रवेश को रोकता है।