International News, विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, भारत और इजरायल की कुछ समस्या एक जैसी

भारत और इजराइल की सभ्यताओं के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक समेत प्राचीन संबंधों के मद्देनजर जयशंकर ने भारत के राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में भारतीय यहूदी लोगों के योगदान की सराहना की और उन्हें ‘हममें से एक’ बताया। दोनों ही देशों के समाजों के समक्ष कट्टरपंथ और आतंकवाद की एक सी चुनौतियां हैं। इनके अलावा हम भूराजनीतिक परिदृश्य पर कई उभरते घटनाक्रमों का भी सामना कर रहे हैं।

यरूशलम।  भारत को सीमा पार, पाकिस्तान से उभरने वाले प्रमुख खतरों का सामना करना पड़ रहा है वहीं इजराइल भी शत्रुतापूर्ण पड़ोसियों से घिरा हुआ है। भारत और इजराइल के बीच ‘आतंकवाद निरोधी संयुक्त कार्य समूह’ है और दोनों देश इस खतरे से निबटने के लिए वास्तविक समय (रियल टाइम) में गोपनीय सूचनाएं भी साझा करते हैं। विदेश मंत्री
एस जयशंकर ने यहां भारतीय-यहूदी समुदाय तथा भारत विदों से कहा कि भारत और इजराइल के समाजों को भूराजनीतिक परिदृश्य पर उभरते कई घटनाक्रमों के साथ ही कट्टरपंथ और आतंकवाद जैसी एक समान चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर रविवार को पांच दिवसीय यात्रा पर यहां पहुंचे। उन्होंने विश्वास जताया कि इजराइल में भारतीय यहूदी समुदाय आने वाले वर्षों में दोनों देशों को और करीब लाएगा। विदेश मंत्री के तौर पर इजराइल की अपनी पहली यात्रा पर यहां पहुंचे जयशंकर ने दोनों देशों के बीच सदियों पुराने संबंधों में भारतीय यहूदी समुदाय के उल्लेखनीय योगदान की सराहना की।

विदेश मंत्री ने कहा कि ‘‘वास्तविक जोर तो ज्ञान आधारित हमारी अर्थव्यवस्थाओं के बीच नवोन्मेष और कारोबारी साझेदारी का विस्तार करने पर है।’’ उन्होंने कहा कि मिसाल के तौर पर दोनों देशों ने कोविड-19 महामारी से निबटने के लिए सहयोग किया। क्या हम इसे अगले स्तर तक ले जा सकते हैं? वैज्ञानिकों, छात्रों और स्टार्ट-अप के बीच हम किस तरह से संपर्क और सहयोग को और बढ़ा सकते हैं? इस दौरे में अपनी बैठकों के दौरान मैं इन मुद्दों समेत कई अन्य मुद्दों पर चर्चा करूंगा।

जयशंकर ने कहा कि चार साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इजराइल के ऐतिहासिक दौरे पर उनके साथ आने का उन्हें गौरव प्राप्त हुआ था। तब प्रधानमंत्री ने कहा था कि इजराइल में यहूदी समुदाय के साथ भारत के संबंध ‘परस्पर विश्वास और मित्रता’ के हैं। उन्होंने कहा कि भारत में यहूदी समुदाय विशेष हैं क्योंकि ‘‘अन्य समुदायों की तरह यह समुदाय सैकड़ों वर्षों से मिलजुल कर शांतिपूर्वक रह रहा है, इसके साथ ही उसने अन्य यहूदी समुदाय से अलगाव के बावजूद अपनी यहूदी पहचान को कायम रखा है।’’

जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान आपमें से कुछ लोग महात्मा गांधी के साथ थे। 1961 में, हमारे एक प्रमुख राष्ट्रवादी नेता बाल गंगाधर तिलक का बचाव करने वाले वकीलों के दल में से एक यहूदी डेविड एरूलकर थे।’’ उन्होंने कहा कि कुछ ने शिक्षाविदों के रूप में तो कुछ ने चिकित्सकों की तरह योगदान दिया। डॉ. जेरूशा झिराद को तो भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।