लघुकथा : यह कैसा स्वागत् ?

लघुकथा, कम शब्दों में बहुत कुछ कहती है।

नई दिल्ली। अस्पताल में एक उच्च पद पर कार्यरत महिला ने बच्ची को जन्म दिया । अस्पताल की सबसे सीनियर महिला डाॅक्टर आई और उस महिला अधिकारी को बुरा सा मुंह बना कर कहने लगी-हमने सोचा था कि आप पढ़ी लिखीं हैं और आपने अल्ट्रासाउंड करवा रखा होगा । पर हमें क्या मालूम था कि आपने भगवान् भरोसे सब कुछ छोड़ रखा है ।

महिला अधिकारी चौंकी । फिर पूछा -यदि मैंने पहले से सब कुछ करवा रखा होता तो फिर क्या फर्क पड़ता?
-कम से कम हमारे स्टाफ को तो इनाम मिल जाता । महिला डाॅक्टर ने बड़ी बेशर्मी से कहा ।
-बस । इसी कारण आपने मेरी नवजात बच्ची का स्वागत् नहीं किया ?

-हां । हमारे स्टाफ को कुछ ऐसी ही उम्मीद थी आपसे ।
-कोई बात नहीं । आप स्टाफ को बुलाइए ।
सारा स्टाफ आ गया और महिला अधिकारी ने सबको इनाम दिया लेकिन उसके बाद अपने पति को बुलाकर अपना सारा सामान समेट लिया ।

पति ने पूछा -ऐसा क्यों कर रही हो ?
महिला अधिकारी ने पति के गले लगकर रोते कहा -इस अस्पताल में मैं एक पल और नहीं रहूंगी क्योंकि इन लोगों ने मेरी बच्ची का स्वागत् नहीं किया ।