माघी पूर्णिमा पर बन रहा ग्रह-नक्षत्रों का अद्भुत योग, स्नान-दान का है विशेष महत्व

महाकुम्भ नगर। दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों से मुक्ति, मनोवांछित फल की प्राप्ति की संकल्पना साकार करने के लिए देश-विदेश के 43 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु संगम के पवित्र जल में डुबकी लगा चुके हैं। स्नानार्थियों के आने का क्रम जारी है। महाकुंभ का पांचवां स्नान पर्व माघी पूर्णिमा 12 फरवरी को पड़ रहा है। उसे देखते हुए दिन-रात श्रद्धालु तीर्थराज प्रयाग पहुंच रहे हैं। माघी पूर्णिमा पर ग्रह-नक्षत्रों का अद्भुत योग बन रहा है। उसमें पुण्य की डुबकी लगाने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु संगम नगरी पहुंच रहे हैं।

आचार्य अवधेश मिश्र शास्त्री के अनुसार 11 फरवरी की शाम 6.30 बजे पूर्णिमा तिथि लग जाएगी, जो 12 फरवरी को शाम 6.41 बजे तक रहेगी। इससे बुधवार को दिनभर पूर्णिमा का प्रभाव रहेगा। 12 फरवरी की सुबह 8.01 बजे तक श्लेषा नक्षत्र और सौभाग्य योग है। इसके बाद शोभन योग लग जाएगा। कुंभ राशि में बुध व शनि, मीन राशि में शुक्र व राहु संचरण करेंगे। जो अत्यंत उत्तम माना जाता है। माघी पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ संगम क्षेत्र में चल रहा माहभर का कल्पवास समाप्त हो जाएगा। स्नान के बाद अधिकतर संत व श्रद्धालु क्षेत्र से प्रस्थान कर जाएंगे।

आचार्य राममोहन शुक्ल के अनुसार माघ महीने की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। पूर्णिमा के बाद फाल्गुन माह की शुरुआत हो जाती है। इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। गंगा स्नान, दान और भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने, भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा करने का विशेष महत्व है। उक्त तिथि पर गाय, तिल, गुड़ और कंबल का दान विशेष पुण्य फल देता है। गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।