नई दिल्ली। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहे अनुसार संसद के दोनों सदनों में कृषि कानून निरसन विधेयक कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा पेश किया गया। विपक्षी सांसदों के भारी हंगामे के कारण कई बार सदन की कार्यवाही बाधित हुई। हंगामे के बीच में ही दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा से इसे पारित करा दिया गया।कृषि मंत्री ने जैसे ही बोलना शुरू किया सदन में विपक्षी सांसद हंगामा करने लगे। कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सदन में विधेयक पर चर्चा की मांग की। हालांकि, ऐसा हुआ नहीं।
आज 12 बजे केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जब कृषि कानून निरसन विधेयक 2021 पेश कर रहे थे, तो कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के सांसदों ने सरकार को कोसा। विपक्षी सांसदों की नारेबाजी के बीच भी कृषि मंत्री अपने विधेयक पेश करते दिखे। कुछ ही देर में वह विधेयक पास हो गया।
इस मसले पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि जिस तरह से संसद में बिना किसी चर्चा के क़ानून रद्द किए गए, ये दिखाता है कि सरकार चर्चा से डरती है। सरकार जानती है कि उन्होंने ग़लत काम किया है। 700 किसानों की मृत्यु, क़ानूनों को लागू करने के पीछे किसकी शक्ति थी इस पर चर्चा होनी थी पर सरकार ने नहीं होने दी। आपने कहा प्रधानमंत्री ने माफी मांगी, इसका मतलब प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि उनकी ग़लती के कारण 700 लोग मारे गए, उनकी ग़लती से आंदोलन हुआ। अगर उन्होंने ग़लती मानी है तो नुकसान की भरपाई तो करनी पड़ेगी। ये तीन क़ानून किसानों और मज़दूरों पर आक्रमण था। परन्तु किसानों और मज़दूरों की कठिनाइयां MSP, कर्ज़ माफी आदि लंबी लिस्ट है। वे अभी भी उनकी मांगें हैं, हम उनका समर्थन करते हैं।
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— Congress (@INCIndia) November 29, 2021
दिल्ली में कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला ने कहा कि सद में कोई भी बिल रद्द होती है तो उस पर चर्चा होती है लेकिन जब चर्चा की बात आई तो सरकार उससे भाग रही थी। सरकार पूरी तरह से किसानों के मुद्दों से भाग रहीं। उनके पास किसानों की मौत और MSP पर कोई जवाब नहीं है।
संसद के दोनों सदनों में कृषि कानून निरसन विधेयक पारित होने पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उन्हें आने वाले विधानसभा चुनाव में राजनीतिक नुकसान दिख रहा था इसलिए उन्होंने मज़बूरी में तीनों कृषि कानूनों को रद्द करना पड़ा।