कृषि मंत्री के बयान की हो रही है निंदा, कांग्रेस ने उठाए सवाल

सात महीना हो गए। किसानों का मुद्दा सुलझ नहीं रहा है। कोरोना का दौर आया। चुनाव आकर चले गए। अब राजनीतिक बयानबाजी हो रही है। आखिर इसका नतीजा क्या होगा ? क्या सरकार नए कृषि कानूनों को खत्म करेगी ?

नई दिल्ली। किसान आंदोलन को लेकर राजनीति गरमा रही है। भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banarjee) से मुलाकात की और उसके बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई। इसके साथ की केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) के बयानों की आलोचना हो रही है। कहा जा रहा है कि कृषि मंत्री को किसानों के दर्द का एहसास नहीं है।

अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि जब तक स्वामीनाथन कमीशन ईमानदारी से लागू नहीं होगा तब तक किसानों की समस्या हल नहीं हो सकती। सरकार जो घोषणा कर रही है वो हमारी मांग से काफी कम है। इससे किसान को फायदा नहीं होगा। किसान इसको स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।

वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत (Supriya Shrinet) ने कहा कि कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर जी का बेहद शर्मनाक बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वह तीन काले कृषि विरोधी कानूनों को छोड़कर किसानों से बात करने के लिए तैयार हैंय मैंने आज तक अपने जीवन में ऐसा बेतुका बयान नहीं सुना।

वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश (Urmilesh) कहते हैं कि हास्य और करुण रस का एक साथ एहसास करना हो तो माननीय केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर जी का सरसों के तेल की अभूतपूर्व महंगाई पर बयान पढें! मंत्री जी का कहना है- मोदी सरकार ने तेल में मिलावट बंद करवा दी, इसलिए तेल कुछ महंगा हुआ है। क्या मतलब–सात साल मिलावट चलने दी थी?

असल में, बंगाल में चुनाव प्रचार के दौरान राकेश टिकैत (Rakesh Tikait)  ने भाजपा के विरोध में सभाएं की थीं लोगों से भाजपा को हराने की अपील की थी। टिकैत और ममता के बीच केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन को तेज करने और सरकार को घेरने की रणनीति पर चर्चा हुई। तरफ टिकैत ने इस समर्थन के लिए ममता का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि दीदी ने बड़े दुश्मन को हराकर बंगाल को बचा लिया है। अब सभी को एकजुट होकर भाजपा से देश को बचाना होगा। ममता की तारीफ करते हुए टिकैत ने यहां तक कहा कि उनमें प्रधानमंत्री बनने की क्षमता हैं।