सारण की इस सियासी समीकरण से आप वाकिफ हैं क्या ?

 

पटना। सारण लोकसभा क्षेत्र में रोहिणी आचार्य भले ही लोकसभा का चुनाव लड़ रही हो पर असली अग्नि परीक्षा इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी विधानसभा सीटों के राजद विधायक और बड़े दिग्गज नेताओं की है छपरा के यादव नेताओं में जितेंद्र कुमार राय एक बड़ा नाम बनकर उभरे हैं 17 महीने की महागठबंधन सरकार में उन्हें कला संस्कृति वकील विभाग का मंत्री भी बनाया गया था उनके पड़ोसी सेट गरखा से पहली बार विधायक बने सुरेंद्र राम को श्रम मंत्री बनाया गया था जबकि जिले के सबसे सीनियर विधायक रामानुज राय के खाते में कुछ भी नहीं आया था 2020 में पहला बदलकर आरजेडी में आए और रिकार्ड मतों से चुनाव जीते छोटे लाल राय का कब भी छपरा में बड़ा है पर इन सब से अलग राजपूत बिरादरी से आने वाले तथा रोहिणी के बोले मामा डॉक्टर सुनील कुमार सिंह का क्षेत्र के राजपूत मतदाताओं पर जबरदस्त पकड़ है।

खासकर सोनपुर विधानसभा क्षेत्र में। डॉ सुनील कुमार सिंह आरजेडीके एमएलसी भी है उन्होंने अपने फंड से इलाके में खूब काम किया है। रोहिणी का अपना स्टारडम भी है राजद सुप्रीमो की बेटी होने तथा पिता के लिए अपनी किडनी दान देने के कारण खूब चर्चा में है रोड शो में सबसे ज्यादा भी उम्र रही है पर सामने जो प्रत्याशी हैं उनकी भी मैनेजमेंट बिहार में सबसे जबरदस्त है नाम है राजीव प्रताप रूढ़ीविरोधी भी मानते हैं कि राजीव प्रताप रूढ़ी बिहार के खिलौने से सांसद हैं जो तमाम आलोचना के बावजूद अपने क्षेत्र में बाकी सांसदों की अपेक्षा ज्यादा काम करते हैं उनकी एंबुलेंस योजना बिहार के अन्य क्षेत्रों के लिए भी अनुकरणीय है केंद्रीय मंत्रिमंडल से छुट्टी होने के बाद राजीव प्रताप रूढ़ी का एक नया अवतार लोगों ने देखा है जो क्षेत्र में सक्रिय रूप से रहते हैं ऐसे में रोहिणी आचार्य के लिए सारण आसान नहीं तुम मुश्किल भी नहीं है। महागठबंधन और एनडीए दोनों ने सारण को अपनी प्रतिष्ठा की सीट बना ली है। सारण में लड़ाई इस बार कांटे की है पर किसका पलड़ा भारी है यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। अगर अभी चुनाव यहां हो जाए तो लालटेन जलने के आसार है पर भाजपा ने जिस तरह से अगले एक सप्ताह में तमाम जातिगत समीकरण को तोड़ने के लिए अपने तमाम प्रदेश स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को इस इलाके में उतरने की योजना बनाई है उसके बाद से खेल बिगड़ेगा।

इस सीट की कहानी भी लग रही है चुनाव के 5 दिनों के पहले तक जैसा माहौल रहता है परिणाम 5 दिनों में उलट जाता है। सारण लोकसभा क्षेत्र में यादव मतदाता पूरी तरह से रोहिणी आचार्य के पक्ष में गोल बंद है तो दूसरी तरफ राजपूत मतदाता राजीव प्रताप रूढ़ी के पक्ष में। पूरा का पूरा खेल अति पिछड़ा और मुस्लिम मतदाताओं पर जाकर टिक गया है। मुसलमान यहां खामोश है तो अति पिछड़ा अंतिम वक्त में निर्णय लेने की बात कह रहे हैं। चंद्रिका राय वाला मामला भी अब आजमाने जाने की चर्चा है। बिहार की जितनी भी लोकसभा सीटों पर राजद चुनाव लड़ रही है उसमें सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा की सीट सारण ही है। जहां यदुवंशियों और रघुवंशियों के बीच कांटे की टक्कर होती रही है। प्रभुनाथ सिंह के परिवार के एनडीए में चले जाने के बाद अब पूरी की पूरी रघुवंशियों की कमान डॉक्टर सुनील कुमार सिंह के हाथ में है।