तबलीगी ज़मात पर भारत में भी लगे पूर्ण प्रतिबन्ध : आलोक कुमार

तबलीगी जमात को लेकर एक बार फिर से विश्व हिंदू परिषद हमलावर हो रही है। विहिप ने भारत सरकार ने मांग की है कि इस संस्था पर देश में प्रतिबंध लगा दिया जाए।

नई दिल्ली। तबलीगी जमात व उसके निजामुद्दीन मरकज की करतूतों के कारण भारत ही नहीं अपितु, सम्पूर्ण विश्व आज गम्भीर संकट में है। विश्व हिन्दू परिषद् ने इसे इस्लामिक कट्टरपंथ की फैक्ट्री व वैश्विक आतंकवाद का पोषक बताते हुए इस पर भारत में भी पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने की मांग की है. विहिप के केन्द्रीय कार्याध्यक्ष व सीनियर एडवोकेट आलोक कुमार ने इस पर सऊदी सरकार द्वारा लगए गए प्रतिबंध का स्वागत करते हुए कहा है कि लोगों का जीवन संकट में डालने वाले तब्लीकी जमात के आर्थिक श्रोतों का पता लगाकर उसके बेंक खातों, कार्यालयों व कार्यकलापों पर भारत सहित सम्पूर्ण विश्व समुदाय द्वारा अबिलम्ब प्रतिबंध लगाया जाए. यह इस्लामिक कट्टरवादी संगठन रूस समेत विश्व के अनेक देशों में पहले से ही प्रतिबंधित है। इसके बावजूद, सऊदी सरकार के इस निर्णय के स्वागत की जगह कुछ भारतीय मुस्लिम संस्थाओं द्वारा विरोध किए जाने से आतंक-पोषण में उनकी भूमिका उन्होंने स्वयं स्पष्ट कर दी है। वास्तव में दारुल उलूम देवबंद ही तो उसका जन्मदाता है।

1926 में निजामुद्दीन से प्रारंभ तबलीग, हरियाणा के मेवात में धर्मांतरण की सफलता से उत्साहित होकर आज विश्व के 100 से अधिक देशों में करोड़ों लोगों को अपनी कुत्सित मानसिकता से संक्रमित कर उनका जीवन संकट में डाल चुकी है। देश के अनेक मस्जिदों व मदरसों व जिहादियों की बस्तियों में बरामद गोले-बारूद व पकड़े गए आतंकी कहीं ना कहीं इसी मानसिकता के प्रासाद थे। कौन नहीं जानता कि निजामुद्दीन मुख्यालय से प्रशिक्षित होकर लाखों तबलीगी बहाबी विचार के साथ संपूर्ण विश्व में मरकज, इज्तेमा, मस्जिदों व मदरसों में तकरीरों के माध्यम से कट्टरता व आतंक फैला रहे हैं। विश्व के अधिकांश आतंकी संगठनों को प्रारंभ करने वाले भी तबलीग से जुड़े रहे हैं। अमेरिकी ट्रेड सेंटर के हत्यारों से लेकर गोधरा में 59 हिंदुओं को जिंदा जलाने तथा स्वामी श्रद्धानंद की नृशंस हत्यारे धर्मांध मुस्लिम युवक अब्दुल रसीद का उर्स मनाने वालों के मरकज से सम्बन्ध जग-जाहिर हैं।