नितीश कुमार के शासन में चल रही ग्रामीण अस्पतला कि है जहाँ चिकित्सक तो नदारत रहते ही है , लेकिन जिस जगह पर हेल्प नंबर लिखा हुआ है वहां बकरी का चारा रखा हुआ है |
जनता के पसीने से टैक्स के रूप में वसूले गए गाढ़ी कमाई से सरकार और उनके अधिकारी किस तरह से वारा न्यारा करते हैं जरा आप खुद देखिये ।
आपको बतादे की वैश्विक महामारी कोरोना के गांव के ओर पांव पसारते देख सरकार ने ये गाइड लाइन जारी किया कि स्वास्थ कर्मी और चिकित्सको को अब गांव के अस्पतालों में तैनात किया जाए और यही नहीं बल्कि जहा सरकार का अपना ग्रामीण अस्पताल नहीं है वहां भाड़े पर भवन लेकर अस्पताल चालू किया जाए ताकि लोगो को इस महामारी से बचाया जा सके पर सरकार का जो अस्पताल है उसकी हकीकत आप खुद देख सकते हैं ।
इधर सरकार के इस आदेश के आने के बाद पूर्वी चंपारण जिले के हरसिद्धि विधान सभा के राजद के पूर्व विधायक राजेंद्र राम अपने विधान सभा छेत्र के लगभग सभी ग्रामीण अस्पतालों का हाल लेने निकले पर सरकार के स्वास्थ व्यवस्था का हाल जो सामने आई उसे देख वे चकित हो गए यही नहीं बल्कि उनके गांव के अस्पताल का भी हाल यही रहा कुछ एक जगह को छोड़ लगभग सभी ग्रामीण अस्पतालें बंद पड़ी थी । यही नहीं बल्कि उनके गांव मथुरा पुर के ग्रामीण अस्पताल का हाल और बेहाल दिखा जो चरवाहा विद्याल का रूप ले चुका है ।
हलाकि सबसे बड़ी चौकाने वाली बात तो ये है कि यहाँ वर्षो से स्वास्थ कर्मी की तैनाती भी कि गई है पर आज तक वो यहाँ पहुचे ही नहीं है पूर्व विधायक ने जब फोन लगाकर स्वास्थ विभाग के अधिकारी से स्थिति जानना चाहा तो उन्होंने खुद स्वीकारा कि इस अस्पताल में तो कर्मी को तैनात कर दिया गया है पर वो ड्यूटी कब और कहाँ करते है इनकी जानकारी उन्हें भी नहीं है ।