Chairman of Chief of Staff Committee, चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी का अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला जनरल एमएम नरवणे ने

केंद्र सरकार देश के नए सीडीएस की तलाश कर रही है। नियमों के तहत इस पद पर नियुक्त किया जाना है। तात्कालिक व्यवस्था के तहत भारतीय सेना के प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने देश के चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी का अध्यक्ष के रूप में अपना कार्यभार संभाला है। सीडीएस के कामकाज को अभी ये ही देखेंगे।

नई दिल्ली। देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत की हवाई दुर्घटना में मृत्यु के बाद 8 दिसंबर से सीडीएस का पद खाली था। भारतीय सेना के प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने देश के चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी का अध्यक्ष के रूप में अपना कार्यभार संभाला है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का 8 दिसंबर को एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन हो गया था। इस दुखद हादसे के बाद हर किसी के जेहन में एक ही प्रश्न था कि अब नया सीडीएस कौन बनेगा। फिलहाल अस्थायी तौर पर पुरानी व्यवस्था को लागू करके सेना प्रमुख एमएम नरवणे को चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है।

8 दिसंबर को भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर दुर्घटना में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत की मौत के बाद यह पद खाली हो गया था। जनरल नरवणे को समिति के अध्यक्ष के रूप में प्रभार दिया गया है क्योंकि वह तीन सेवा प्रमुखों में सबसे वरिष्ठ हैं । IAF चीफ एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी और नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने 30 सितंबर और 30 नवंबर को अपने-अपने पद संभाले थे।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के पद के निर्माण से पहले, तीन सेवा प्रमुखों में सबसे वरिष्ठ, चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष हुआ करते थे। चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) ने मंगलवार को बैठक की और जनरल रावत, उनकी पत्नी मधुलिका और 11 सशस्त्र बलों के जवानों की मौत पर शोक व्यक्त किया।

बता दें कि जनरल नरवणे पांच महीने में सेनाध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। जनरल नरवणे को उनके समग्र प्रदर्शन के साथ-साथ पूर्वी लद्दाख गतिरोध से निपटने के लिए शीर्ष पद पर नियुक्त करने की संभावना अधिक है। सेना प्रमुख अप्रैल में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। जनरल नरवणे तीनों सेना प्रमुखों में सबसे वरिष्ठ हैं। बता दें कि चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी में तीनों सेना के प्रमुख शामिल होते हैं। सीडीएस पद के गठन से पहले आमतौर पर तीनों सेनाओं के प्रमुखों में से सबसे वरिष्ठ को ‘चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी’ के अध्यक्ष का पदभार सौंपा जाता था। हालांकि इसके चेयरमैन के पास कोई खास शक्ति नहीं होती, बस वह तीनों सेनाओं के बीच तालमेल करता है।