पटना। नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर फिर एक बार मिले। यह मुलाकात इसलिए बिहार की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अब बिहार में चुनाव जनता पर भरोसा करके नेता नहीं लड़ते। बिहार में आज भी बिहार के लिए कोई वोट नहीं कर रहा। यदि बिहार के लिए वोट कर रहा होता तो बिहार के लाखों लोग बिहार बदर होकर देश भर में ना बिखरे होते। अब रणनीतिकार (strategist) लोग जीत और हार वार रुम में तय कर देते हैं।
राज्य से बाहर देश भर में लोग पलायन करते है। दक्षिण भारत से लेकर पश्चिम भारत तक के लोग, एक राज्य से दूसरे राज्य में अवसर की तलाश में जाते ही हैं। इसलिए बिहार से पलायन करने में कुछ गलत नहीं है। गलत है, पलायन के लिए मजबूर होना। आज भी बड़ी संख्या में लोग घर लौटना चाहते हैं, लेकिन नीतीशजी के शासन में भी बहुत कुछ नहीं बदला। चाह कर भी लोग लौटने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे।
बिहार में नए कल कारखाने नहीं लग रहे। जब विभिन्न राज्य अपने प्रदेश के लिए निवेशक तलाश रहे हैं। बिहार इस प्रतिस्पर्धा में कहीं दिखता नहीं। पर्यटन की इतनी संभावना बिहार में है लेकिन बिहार का पर्यटन मंत्रालय अपना कार्यक्रम इतना लुका-छुपा कर करता है कि किसी को खबर ना हो जाए।
बिहार की लड़की ने बिहार के लिए लिखा था- बिहार में का बा? बिहार वालों को जवाब देने के लिए भारतीय इतिहास में हजार साल पहले जाना पड़ेगा। उसकी पैरोडी उत्तर प्रदेश पर बनाकर उसी लड़की ने गाया तो दर्जनों लोग सामने आ गए जवाब देने के लिए। नीतीशजी हमारे बिहार के लिए आपके पास अगले तीन साल की क्या योजना है?
Bihar Politics : नीतीश के साथ क्यों मिले प्रशांत किशोर
बिहार की राजनीति में बहुत कुछ चल रहा है। जब राज्य के कुछ सियासी लोगों से बात करेंगे, तो यही संकेत मिलता है। ऐसे में नीतीश कुमार के साथ एक बार फिर प्रशांत किशोर का मिलना बहुत कुछ कह रहा है।