मुख्यमंत्री रावत ने केंद्र से किया ​भूवैज्ञानिकों की टीम तैनात करने का आग्रह

इलेक्ट्रो मैग्नेटिक डेप्थ रडार आसमान से जमीन में 50 मीटर गहराई तक की क्षति को नाप सकता है और यदि कोई वैक्यूम पॉकेट हो तो उसे भी खोज सकता है। यह कंक्रीट, डामर, धातु, पाइप, केबल या चिनाई जैसी भूमिगत जगहों की जांच या सर्वेक्षण करने का एक बेहतरीन तरीका है।

नई दिल्ली। उत्तराखंड में आपदा प्रभावित तपोवन (चमोली) में नुकसान का आकलन करने का कार्य शुरू कर दिया गया है। मंगलवार को इलेक्ट्रो मैग्नेटिक डेप्थ रडार लेकर हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी। ग्लेशियर टूटने के बाद आई आपदा में उत्तराखंड के ऊपरी इलाकों में चीन सीमा से लगे बाड़ाहोती में सेना की तत्परता और क्षमता पर इसका कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ा है क्योंकि आपूर्ति लाइनें बरकरार हैं।साथ ही डीआरडीओ की बर्फ और हिमस्खलन विशेषज्ञों की एक टीम जोशीमठ क्षेत्र में निगरानी के लिए पहुंच चुकी है लेकिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्र सरकार से ​​भूवैज्ञानिकों की टीम की तैनाती के लिए आग्रह किया है।

इलेक्ट्रो मैग्नेटिक डेप्थ रडार आसमान से जमीन में 50 मीटर गहराई तक की क्षति को नाप सकता है और यदि कोई वैक्यूम पॉकेट हो तो उसे भी खोज सकता है। यह कंक्रीट, डामर, धातु, पाइप, केबल या चिनाई जैसी भूमिगत जगहों की जांच या सर्वेक्षण करने का एक बेहतरीन तरीका है। इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स इमेजर शक्तिशाली लेज़र और ईएमपी सिग्नल भेजेगा और सुरंगों के भीतर गेज एयर पॉकेट में मदद करेगा। इसके अलावा चमोली क्षेत्र के सभी ग्लेशियरों, आसपास के इलाकों में पहाड़ को हुए नुकसान का भी सर्वे कर रहा है। उत्तराखंड में तबाही के क्षेत्र तपोवन में नुकसान का अध्धयन करने के लिए भूवैज्ञानिकों की भी सहायता करेगा। साथ ही उत्त‍राखंड के चमोली जिले में हुई तबाही के कारणों की जांच भी करेगा।
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​इस रडार के माध्यम से रॉक, मिट्टी, बर्फ, ताजे पानी, फुटपाथ और अन्य संरचनाओं के भौतिक गुणों में परिवर्तन और दरार का भी पता लगाया जा सकता है। ​​यह गैर विनाशकारी विधि रेडियो स्पेक्ट्रम के माइक्रोवेव बैंड में विद्युत चुम्बकीय विकिरण का उपयोग करके परिलक्षित संकेतों का पता लगाती है।​ ​​यह रडार अपना मिशन पूरा करने के साथ-साथ उत्तराखंड के तबाही वाले स्थानों पर रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी सेना, वायुसेना, आईटीबीपी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, सेना की मेडिकल टीम, स्वास्थ्य विभाग, फायर विभाग, राजस्व विभाग, पुलिस, दूरसंचार, सिविल पुलिस के अगले सुरंग बचाव मिशन में भी मदद करेगा। इसके अलावा विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भी हेलिबॉर्न उपकरण के साथ एक अलग से टीम भेजी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उत्तराखंड में भूवैज्ञानिकों की टीम की तैनाती के लिए आग्रह किया है।

अभी तक की जांच में यह भी पता चला है कि उत्तराखंड के ऊपरी इलाकों में बाढ़ ने सेना की तत्परता और क्षमता को प्रभावित नहीं किया है। चीन द्वारा दावा किए गए एलएसी के साथ 80 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र बाड़ाहोती में सेना की आपूर्ति लाइनें बरकरार हैं। हालांकि बीआरओ की सड़क और तीन पुल इस आपदा में नष्ट हो गये हैं लेकिन जोशीमठ में ​​एलएसी के साथ भारतीय सेना की चौकियों की आपूर्ति लाइन पूरी तरह से कट-ऑफ नहीं हुई है। डिमिलिटरीज जोन और अन्य क्षेत्रों तक सेना का विंटर स्टॉक पहुंचाने के लिए ​​वैकल्पिक मार्ग मौजूद हैं। सेना का कहना है कि रात भर सेना और आईटीबीपी के जवानों ने टनल खोलने का काम किया। आर्मी फील्ड हॉस्पिटल घटनास्थल पर ही घायलों को इलाज मुहैया करा रहा है।

भारतीय वायुसेना के स्पेशल हेलीकॉप्टर से आज भी गाज़ियाबाद से एनडीआरएफ की एक अतिरिक्त टीम देहरादून पहुंची। एमआई-17 से एनडीआरएफ कर्मियों को जोशीमठ ले जाया गया। डीआरडीओ की बर्फ और हिमस्खलन विशेषज्ञों की टीम भी तपोवन क्षेत्र और ग्लेशियर तक पहुंचने के लिये वायुसेना​​ के एडवांस लाइट हेलीकाप्टर (एएलएच) का इस्तेमाल कर रही है।