दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना से जुड़ी याचिका को कोर्ट ने किया खारिज

याचिका खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में अस्थाना की नियुक्ति में कोई अनियमितता, अवैधता या गड़बड़ी नहीं है। हम यह कहने के लिए बाध्य हैं कि यह स्वस्थ आदत नहीं है और इसकी निंदा की जानी चाहिए और याचिकाकर्ता यह समझ ले कि भविष्य में उसे ऐसा करने से बचना चाहिए।

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस के कमिश्नर की नियुक्ति को लेकर कोर्ट में दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है। दिल्ली हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे को और बड़ा नहीं बनाना चाहती है और इसके साथ ही उसने याचिका दायर करने वाले वकील को चेतावनी भरा नोट दिया है।

पीठ ने अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ अधिवक्ता सद्रे आलम द्वारा दायर जनहित याचिका और गैर सरकारी संगठन ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल)’ की हस्तक्षेप अर्जी खारिज कर दी। इस संगठन की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर दिल्ली पुलिस उपायुक्त के पद पर अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती दी थी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, उच्च न्यायालय ने मंगलवार को याचिका की सामग्री कॉपी-पेस्ट करने के ‘अस्वस्थ’ चलन की निन्दा की है। साथ ही उसने याचिकाकर्ता अधिवक्ता को भविष्य में इस तरह की गतिविधि में शामिल होने से बचने की सलाह भी दी है। केन्द्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि याचिका में किये गये अनुरोध भूषण द्वारा उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका का ‘‘कट, कॉपी, पेस्ट’ (हूबहू नकल) है और अदालत को इसे हतोत्साहित करना चाहिए तथा याचिकाकर्ता की निंदा की जानी चाहिए।

उच्च न्यायालय ने अपने 77 पन्नों के फैसले में कहा है कि यह तथ्य कि याचिका किसी दूसरी याचिका का ‘कट, कॉपी, पेस्ट’ (हूबहू नकल) है, ना सिर्फ आवेदक द्वारा विवेक का उपयोग नहीं किए जाने को दर्शाता है बल्कि उनकी योग्यता पर भी गंभीर सवाल पैदा करता है।