नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय ने कोलकाता में स्थित एक कंपनी से जुड़े हवाला लेनदेन के एक मामले में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को गिरफ़्तार किया। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सत्येंद्र जैन के खिलाफ 8 साल से फर्जी केस चल रहा है। ED ने पहले भी कई बार फोन किया और बीच में कई सालों तक बुलाना ही बंद किया क्योंकि उन्हें कुछ नहीं मिला। अब यह फिर से शुरू हुआ है क्योंकि वह हिमाचल के चुनाव प्रभारी हैं।
हिमाचल में भाजपा बुरी तरह से हार रही है। इसीलिए सत्येंद्र जैन को आज गिरफ़्तार किया गया है ताकि वो हिमाचल न जा सकें.
वे कुछ दिनों में छूट जाएँगे क्योंकि केस बिलकुल फ़र्ज़ी है. 2/2— Manish Sisodia (@msisodia) May 30, 2022
इस मसले पर आम आमदी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 8 साल पुराने एक फर्ज़ी मामले में सत्येंद्र जैन को गिरफ़्तार किया है। इस मामले में वे 7 बार ED के सामने पेश हो चुके हैं। CBI ने भी उनको इस मामले में क्लीन चिट दी है। सत्येंद्र जैन जैसे ही हिमाचल प्रदेश के इनचार्ज बनाए जाते हैं वैसे ही भारतीय जनता पार्टी के पेट में दर्द हो जाता है। भारतीय जनता पार्टी हिमाचल प्रदेश में चुनाव हार रही है इसलिए उनकी फर्ज़ी मामले में गिरफ़्तारी की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि नको 8 साल से गिरफ़्तारी की याद नहीं आई? ऐसी बड़ी एजेंसी ED-ED चिलाते रहते हो। ऐसी जांच एजेंसी को बंद कर देना चाहिए जो 8 साल में एक मामले का निपटारा न कर सके। BJP हिमचाल प्रदेश हार रही है तब आप गिरफ़्तारी कर रहे हो, AAP को बदनाम करने के लिए ड्रामा-नौटंकी कर रहे हो।
This case highlights misuse of probe agencies…Soon he (Satyendar Jain) will be out as it's a baseless case…BJP is losing Himachal Pradesh polls…: AAP's Sanjay Singh on ED arresting Satyendar Jain in a case connected to hawala transactions related to a Kolkata-based company pic.twitter.com/HFXMSjNypl
— ANI (@ANI) May 30, 2022
कहा जा रहा है कि वित्तीय जांच एजेंसी की जांच से पता चला है कि 2015-2016 में जब सत्येंद्र जैन एक पब्लिक सर्वेंट थे तब उनके स्वामित्व और नियंत्रण वाली कंपनियों को हवाला नेटवर्क के माध्यम से 4.81 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई थी। यह पैसा सत्येंद्र जैन की कंपनियों को कोलकाता स्थित ऑपरेटरों को कैश में ट्रांसफर किया गया और बाद में इस पैसे का इस्तेमाल जमीन खरीदने और दिल्ली में कृषि भूमि खरीदने के लिए लिए गए ऋण को चुकाने के लिए किया गया था।