अरशद फरीदी
बीते डेढ़ पखवाड़े से अधिकतर लोगों की जुबान पर गाजा क्षेत्र है। गाजा पर हमला हो रहा है। इजरायल के मिसाइल गाजा को लहुलूहान कर रहे हैं। हमास को जड़ से मिटाने की कसम खाए इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहु किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। उनके साथी के रूप में अमेरिका और ब्रिटेन युद्ध के हर साजो-सामान देने को तैयार हैं। हजारों बेगुनाह लोगों को अपनी बलि देनी पड़ी है। आंधी-गुबार चीख-पुकार अभी भी गाजा में जारी है। हमास के रवय्ये को कतई स्वीकारा नहीं जा सकता है। हमारा बार-बार यही कहना है कि आतक का कोई धर्म नहीं होता है। किसी भी धर्म को आतंक से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। कोई यदि आतंकी है, तो हमेशा ही आतंकी ही रहेगा।
भारत ने हमेशा शांति की बात कही है। शांति ही हमारा सूत्र है। पूरी दुनिया में शांति और सदभावना रहे, इसकी बात जी20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की है। नई दिल्ली घोषणा पत्र में भी वसुधैव कुटुम्बकम और शांति की बात कही गई है। हमास ने जब इजरायल पर हमला किया, तो भारतीय प्रधानमंत्री ने उस घटना की भर्त्सना की। हम किसी भी आतंकी घटना के हिमायती नहीं है। साथ ही जिस प्रकार से कुछ देश इस युद्ध को भड़काने में लगे हैं, वह भी दुनिया के लिए खतरनाक है। भारत का पुराना संबंध फिलीस्तीन से बेहतर रहा है। इजरायल से हमारे संबंध अच्छे हैं। हमारा कारोबार भी है। हम पूरी दुनिया को एक परिवार मानते हैं।इजरायल और हमास में जंग के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 अक्टूबर को फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से फोन पर बात करके शायद अपनी गलती को ठीक किया है। इस दौरान उन्होंने गाजा के अल-अहली अस्पताल में हुए विस्फोट में जान गंवाने वाले लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की। साथ ही संबंधों को लेकर भी रुख स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, ”हमने इजरायल-फलस्तीन मुद्दे पर भारत की लंबे समय से चली आ रही सैद्धांतिक स्थिति को दोहराया।”
पिछले कुछ सालों में भारत और इजरायल के बीच नजदीकी बढ़ी है। ऐसे में पीएम मोदी के इस बयान को काफी अहम माना जा रहा है। विपक्षी पार्टियां भी भारत सरकार से फलस्तीन के साथ खड़े होने की बात कह रही है। हमास के हमले के बाद पीएम मोदी और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर बात की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि हम आपके साथ एकजुटता से खड़े हैं।
चिंता की बात यह है कि जिस प्रकार से अमेरिका सहित यूरोप और नाटो के कुछ देश हर युद्ध में अपना मुनाफा देखते हैं, उसे समझना होगा। हर युद्ध उनके लिए आपदा में अवसर लेकर आता है। वो अपना हथियार बेचते हैं। देश को कर्ज के बोझ तले करते हैं और बाद में अपनी चलाते हैं।
बता दें कि अरब दुनिया में फलस्तीन एक क्षेत्र है। इसे अब तक देश की मान्यता नहीं मिली है। फलस्तीन के तीन हिस्से हैं। ये तीन एरिया पूर्वी यरूशलम, गाजा पट्टी और पश्चिमी किनारा है। पूर्वी यरूशलम में अल-अकसा परिसर स्थित है और इस कंपाउंड की निगरानी जॉर्डन के जिम्मे हैं, जबकि शहर पर इजरायल का कब्जा है। वहीं गाजा पट्टी पर 23 लाख फलस्तीनी रहते हैं और इस इलाके पर साल 2007 से हमास का प्रशासन है। पश्चिमी किनारा में Palestine Liberation Organization से जुड़ी अल फतह पार्टी की सरकार है। वेस्ट बैंक की आबादी करीब 28 लाख है। तीन क्षेत्रों को मिलाकर फलस्तीन कहा जाता है। इन तीनों इलाकों के राष्ट्रपति महमूद अब्बास हैं।
इजरायल-हमास में जारी जंग के बीच पीएम मोदी ने कहा कि संघर्षों और टकराव से भरी दुनिया किसी को फायदा नहीं पहुंचा सकती। एक बंटी हुई दुनिया हमारे सामने की चुनौतियां का समाधान नहीं दे सकती।ये समय दुनिया के लिए शांति और भाईचारे का समय है, साथ मिलकर चलने का समय है, एक साथ आगे बढ़ने का समय है। यह समय सबके विकास और कल्याण का है।
दूसरी ओर, हम भारत में हमास को लेकर बहस को देखें, तो यह चुनावी मंचों से भी सुनाई पड़ रही है। पांच राज्यों में अभी विधानसभा चुनाव होना है। टीवी चैनलों पर कैसा लगातार, चौबीसों घंटे हमास बनाम इजराइल की लड़ाई का प्रसारण है। लड़ाई वहा हो रही है और भारत के टीवी चैनल हिंदू बनाम मुस्लिम लड़ाई के पानीपत मैदान बने हुए है। कभी शरद पवार, सुप्रिया सुले, कांग्रेस, औवेसी के हवाले इंडिया एलायंस को तुष्टीकरण का झंडाबरदार बताना तो कभी इजराइल से लाइव प्रसारण से आंतकवादी बर्बरता के हवाले हिंदू दिल-दिमाग, भावनाओं में सुरक्षा की चिंताओं को जगाना। लड़ाई क्योंकि मोदीजी के चेहरे पर है, लोकसभा चुनाव की बेकग्राउंड में है तो भाजपा को हिंदुओं की भावनाओं को ऊबालना है। भावनाओं को देश की सुरक्षा, आंतकवाद, विश्व गुरू, विश्व मित्र जैसे जुमलों की धुरी पर दौडाना है। और इसलिए विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे के साथ आंतकी हमास के पुराण पर मुस्लिम बनाम हिंदू के सियासी मैदान की टेस्टीग है। कांग्रेस वचनपत्र से लोगों को रूझाएगी वहीं भाजपा का मोदी के चेहरे से हल्ला बन रहा है कि उनका सखा, साथी, दोस्त नेतन्याहू कैसे उनसे सलाह कर हमास व आंतकियों को तबाह कर दे रहे है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)